लखनऊ न्यूज डेस्क: लखनऊ में जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (JPINC) एक बार फिर विवादों में है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने जेपी नारायण की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि देने की कोशिश की, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। उनका कहना है कि योगी सरकार इस सेंटर को बेचने की योजना बना रही है। सपा के शासनकाल में इसे 800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत में बनाया गया था, लेकिन राजनीतिक उठा-पटक के कारण यह अब खंडहर बन चुका है और परिसर में झाड़ियां उग आई हैं।
दरअसल, 2012 में सपा शासन के दौरान इंडिया हैबिटेट सेंटर के मॉडल पर जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र का निर्माण शुरू हुआ था। 2017 तक इस परियोजना पर लगभग 860 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे। रियल एस्टेट कंपनी शालीमार ने इस इमारत का निर्माण किया है। यह 17 मंजिला केंद्र पार्किंग, जेपी नारायण से संबंधित म्यूजियम, बैडमिंटन और लॉन टेनिस कोर्ट, और ऑल-वेदर स्विमिंग पूल जैसी सुविधाओं से सुसज्जित है। इसके साथ ही, इसमें करीब 100 कमरों का एक बड़ा गेस्ट हाउस और 17वीं मंजिल पर एक हेलीपैड भी है।
2017 तक जेपी सेंटर का लगभग 80 फीसदी काम पूरा हो चुका था, लेकिन योगी सरकार बनने के बाद इसका निर्माण रुक गया। निर्माण में गड़बड़ियों के चलते योगी सरकार ने जांच का आदेश दिया, और इस वजह से पूरा निर्माण कार्य अधर में रह गया। अब महंगी टाइल्स के बीच झाड़ियाँ उग आई हैं, और यह स्थान नशेड़ियों का अड्डा बनता जा रहा है। शाम के समय यहां नशेड़ी जमा हो जाते हैं। सपा का आरोप है कि जेपी सेंटर के भीतर जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा है और कुछ चीजें हैं जो समाजवाद को समझने में मदद करती हैं, लेकिन योगी सरकार इसे निजी कंपनी के हाथों बेचने की योजना बना रही है।
11 अक्टूबर को जेपी की जयंती से पहले जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जेपी सेंटर पहुंचे, तो देखा कि वहां टिन शेड से ढकने का काम चल रहा था। इस दृश्य को देखकर अखिलेश यादव ने सरकार पर तीखा हमला किया। पिछले साल जेपी की जयंती पर भी अखिलेश यादव अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ सेंटर के गेट पर चढ़कर घुसने की कोशिश की थी, जब भारी पुलिस बल ने उन्हें रोकने का प्रयास किया था। उस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था।