लखनऊ न्यूज डेस्क: लंबी प्रक्रिया और शिकायतों के बाद आखिरकार लखनऊ के केजीएमयू में धर्मांतरण के दबाव और यौन शोषण के आरोपों से जुड़े मामले में सख्त कार्रवाई हुई है। संस्थान के एक पुरुष रेजिडेंट डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है। डीन एकेडमिक्स डॉ. वीरेंद्र आतम की ओर से मंगलवार को जारी आदेश के तहत आरोपी डॉक्टर के केजीएमयू परिसर और हॉस्टल में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है।
यह मामला तब सामने आया जब केजीएमयू पैथोलॉजी विभाग में कार्यरत पश्चिम बंगाल की एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर के पिता ने उत्तराखंड के खटीमा निवासी पुरुष रेजिडेंट डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने मुख्यमंत्री जन सुनवाई पोर्टल और राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि आरोपी डॉक्टर ने उनकी बेटी पर शादी से पहले धर्म बदलने का दबाव बनाया और लगातार मानसिक रूप से परेशान किया। पीड़िता के पिता के अनुसार, इसी दबाव और उत्पीड़न के चलते उनकी बेटी ने 17 दिसंबर को आत्महत्या का प्रयास किया था, जिसके बाद उसका ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में इलाज चला और बाद में हालत में सुधार होने पर छुट्टी दी गई।
आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर ने नीट पीजी काउंसलिंग के जरिए करीब डेढ़ साल पहले केजीएमयू में दाखिला लिया था और उसी विभाग की महिला रेजिडेंट डॉक्टर से नजदीकियां बढ़ाईं। पीड़िता की शिकायत के बाद केजीएमयू प्रशासन ने मामले की जांच के लिए सात सदस्यीय विशाखा कमेटी गठित की। सोमवार को कमेटी ने पीड़िता और आरोपी दोनों के बयान दर्ज किए और देर रात तक जांच चली। उपलब्ध साक्ष्यों और बयानों के आधार पर मंगलवार को कमेटी ने पुरुष रेजिडेंट डॉक्टर को दोषी ठहराया।
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने बताया कि महिला रेजिडेंट डॉक्टर ने यौन शोषण और धर्मांतरण के प्रयास से जुड़े गंभीर आरोप लगाए थे। यौन शोषण के मामले में विशाखा कमेटी की सिफारिश पर आरोपी को निलंबित किया गया है, जबकि धर्मांतरण से जुड़े आरोपों की जांच पुलिस कर रही है। इसके साथ ही आरोपी को बिना अनुमति शहर छोड़ने से भी रोक दिया गया है।