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उत्तर प्रदेश: देश के अन्नदाता से दुनिया की फूड बास्केट बनने की ओर मजबूत कदम

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Posted On:Wednesday, December 31, 2025

उत्तर प्रदेश अब केवल भारत का ‘अन्नदाता’ ही नहीं रहा, बल्कि वह तेजी से दुनिया की ‘फूड बास्केट’ बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार की नई निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30 और एग्री-एक्सपोर्ट जोन्स के प्रभावी क्रियान्वयन ने यूपी के कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजारों तक पहुंचाने के लिए एक मजबूत सेतु तैयार किया है। अब यूपी की खेती सिर्फ स्थानीय मंडियों तक सीमित नहीं, बल्कि “लोकल से ग्लोबल” का सपना साकार होता दिख रहा है।

लोकल से ग्लोबल तक का सफर

लखनऊ से लेकर पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक फैली उपजाऊ मिट्टी और राज्य के नौ कृषि-जलवायु क्षेत्र यूपी को कृषि के लिहाज से बेहद समृद्ध बनाते हैं। इन्हीं खूबियों के दम पर सरकार ने वर्ष 2030 तक कृषि निर्यात को 50 बिलियन डॉलर तक ले जाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इस विजन के केंद्र में हैं एग्री-एक्सपोर्ट जोन्स, जो किसानों और निर्यातकों के बीच सीधा और भरोसेमंद पुल बना रहे हैं।

एग्री-एक्सपोर्ट जोन्स: सफलता की मजबूत नींव

उत्तर प्रदेश में इस समय कई प्रमुख कृषि उत्पादों के लिए विशेष एग्री-एक्सपोर्ट जोन्स संचालित किए जा रहे हैं। इनमें आलू, आम और बासमती चावल जैसे उत्पाद प्रमुख हैं। ये जोन्स केवल खेती तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बीज चयन, आधुनिक खेती, कटाई, भंडारण, पैकेजिंग और निर्यात तक एक एंड-टू-एंड समाधान उपलब्ध कराते हैं।

  • आम के लिए: लखनऊ और सहारनपुर क्लस्टर, जहां दशहरी आम को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है।

  • आलू के लिए: आगरा, हाथरस और फर्रुखाबाद, जो देश के सबसे बड़े आलू उत्पादक क्षेत्रों में शामिल हैं।

  • बासमती चावल के लिए: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बरेली, शाहजहांपुर और मुरादाबाद जैसे जिले, जहां उच्च गुणवत्ता वाला बासमती उगाया जाता है।

इन क्लस्टरों की वजह से अब यूपी के कृषि उत्पाद सीधे खाड़ी देशों, यूरोप और अमेरिका जैसे बाजारों तक पहुंच रहे हैं।

नई निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30 के बड़े फायदे

हाल ही में स्वीकृत निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30 ने निर्यातकों और किसानों दोनों को बड़ा प्रोत्साहन दिया है। इसके तहत:

  • निर्यातकों को मिलने वाली वार्षिक वित्तीय सहायता 1.6 मिलियन रुपये से बढ़ाकर 2.5 मिलियन रुपये कर दी गई है।

  • ISO, HACCP जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन पर होने वाले खर्च का 75 प्रतिशत तक पुनर्भुगतान सरकार करेगी।

इससे ‘काला नमक चावल’, ‘प्रतापगढ़ का आंवला’, और अन्य विशिष्ट कृषि उत्पादों को यूरोपीय और अमेरिकी बाजारों में आसानी से प्रवेश मिलेगा। यह नीति यूपी के ब्रांडेड कृषि उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभा रही है।

बुनियादी ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव

कृषि निर्यात को मजबूती देने के लिए बुनियादी ढांचे में भी बड़े बदलाव किए गए हैं। जेवर में बन रहा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और प्रयागराज से हल्दिया तक का इनलैंड वाटरवे किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो रहे हैं। अब फल और सब्जियां कुछ ही घंटों में खाड़ी देशों और यूरोप तक पहुंचाई जा रही हैं।

इसके साथ ही वाराणसी और बरेली में स्थापित एग्रो पार्क आधुनिक पैकेजिंग, कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स सुविधाएं देकर कृषि उत्पादों की बर्बादी को न्यूनतम कर रहे हैं। इससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल रहा है।

किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव

AEZs के माध्यम से किसान अब सीधे निर्यातकों से जुड़ रहे हैं। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के जरिए किसानों को न सिर्फ बेहतर दाम मिल रहे हैं, बल्कि उन्हें वैश्विक बाजार की मांग के अनुसार खेती करने की आधुनिक तकनीक भी सिखाई जा रही है। इससे किसानों की आय बढ़ रही है और खेती एक लाभकारी व्यवसाय बनती जा रही है।


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