शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) अस्पताल में मरीज के साथ हुई मारपीट का मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है। इस प्रकरण में प्रदेश सरकार द्वारा आरोपी डॉक्टर राघव को टर्मिनेट किए जाने के बाद अब रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (RDA) खुलकर विरोध में उतर आई है। डॉक्टरों के इस फैसले के खिलाफ सामूहिक अवकाश पर जाने से अस्पताल की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने शुक्रवार (26 दिसंबर) को सामूहिक अवकाश की कॉल दी, जिसके चलते IGMC सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं लगभग ठप हो गईं। जानकारी के मुताबिक, अकेले IGMC अस्पताल में शुक्रवार को करीब 450 रेजिडेंट डॉक्टर एक साथ अवकाश पर हैं। इसके अलावा लगभग 50 प्रतिशत डॉक्टर पहले से ही 22 दिसंबर से छुट्टी पर चल रहे हैं। ऐसे में इलाज के लिए आए मरीजों को डॉक्टर नहीं मिल पा रहे हैं और लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री से मिले डॉक्टर, टर्मिनेशन वापस लेने की मांग
मामले को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री से मिलने उनके आवास ‘ओकओवर’ पहुंचा। इस दौरान डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर आरोपी डॉक्टर राघव का टर्मिनेशन वापस लेने की मांग की। साथ ही उन्होंने घटना वाले दिन अस्पताल परिसर में भीड़ द्वारा की गई तोड़फोड़, डॉक्टरों को डराने-धमकाने की घटनाओं और अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था की कमी का मुद्दा भी उठाया।
रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि घटना के बाद जिस तरह से अस्पताल के अंदर उपद्रव हुआ और डॉक्टरों को धमकाया गया, वह बेहद चिंताजनक है। एसोसिएशन ने मांग की कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा बढ़ाई जाए।
RDA अध्यक्ष का बयान
रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष सोहेल शर्मा ने मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद बताया कि मुख्यमंत्री ने उनकी सभी मांगों को गंभीरता से सुना है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पूरे मामले की दोबारा जांच का आश्वासन दिया गया है। सोहेल शर्मा के मुताबिक, फिलहाल सभी रेजिडेंट डॉक्टर एक दिन के अवकाश पर हैं और शाम को जनरल हाउस की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि डॉक्टर किसी भी तरह से मरीजों को परेशान करना नहीं चाहते, लेकिन अपने सम्मान, सुरक्षा और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग को लेकर उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है।
मरीजों की बढ़ी मुश्किलें
दूसरी ओर, रेजिडेंट डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश पर चले जाने से मरीजों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। IGMC अस्पताल में दूर-दराज के इलाकों से इलाज के लिए आए मरीजों को ओपीडी में डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। कई मरीज घंटों इंतजार करने के बाद बिना इलाज कराए लौटने को मजबूर हो रहे हैं। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों और सरकार के बीच चल रही इस लड़ाई में सबसे ज्यादा नुकसान आम मरीजों को उठाना पड़ रहा है।
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले शिमला के IGMC अस्पताल में एक डॉक्टर और मरीज के बीच जमकर मारपीट की घटना सामने आई थी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था। वीडियो में डॉक्टर मरीज को लात-घूंसों से पीटता हुआ दिखाई दे रहा था, जिसके बाद मरीज के परिजनों ने डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
वीडियो सामने आने के बाद सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए डॉक्टर राघव को पहले सस्पेंड किया और बाद में टर्मिनेट कर दिया। इसी फैसले के बाद से रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन आरोपी डॉक्टर के समर्थन में सामने आ गई और उसके निलंबन व टर्मिनेशन को रद्द करने की मांग करने लगी।