लखनऊ न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR प्रक्रिया अब लगभग अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस प्रक्रिया के तहत कई जिलों में बड़े पैमाने पर वोटरों के नाम सूची से हटाए गए हैं। हैरानी की बात यह है कि इस बार लखनऊ जैसे बड़े शहरी जिलों से सबसे ज्यादा नाम कटे हैं, जिससे मतदाता आंकड़ों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है।
चुनाव आयोग के अनुसार, SIR के दौरान ‘डबल एंट्री’ पर खास फोकस किया गया। जांच में सामने आया कि कई मतदाताओं के नाम उनके मूल गांव और काम या पढ़ाई के शहर—दोनों जगह दर्ज थे। नियमों के तहत ऐसे मतदाताओं को केवल एक स्थान चुनना था, जिसके बाद दूसरी जगह से उनका नाम हटा दिया गया।
विश्लेषण में यह भी सामने आया कि अधिकांश लोगों ने अपने गृह जिले को प्राथमिकता दी। लखनऊ, गाजियाबाद और कानपुर जैसे शहरों में रहने वाले लोगों ने नौकरी या पढ़ाई वाले शहर की बजाय अपने मूल स्थान की वोटर लिस्ट में नाम बनाए रखना सही समझा। इसी वजह से बड़े शहरों में मतदाता संख्या में ज्यादा गिरावट दर्ज हुई, जबकि छोटे और ग्रामीण जिलों में यह संख्या अपेक्षाकृत कम रही।
रिपोर्ट के मुताबिक, जहां महोबा में सबसे कम करीब 85 हजार वोटरों के नाम कटे, वहीं लखनऊ में सबसे ज्यादा करीब 12 लाख नाम हटाए गए। प्रयागराज, कानपुर नगर, आगरा और गाजियाबाद जैसे जिलों में भी लाखों मतदाताओं के नाम सूची से बाहर हुए हैं। चुनाव आयोग का मानना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने की दिशा में अहम कदम है।