अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की ताजा रिपोर्ट्स ने यूक्रेन युद्ध को लेकर एक गंभीर चेतावनी दी है। इन रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर अपने युद्ध के मूल लक्ष्य अब तक नहीं बदले हैं। अमेरिकी खुफिया से जुड़े छह सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पुतिन अब भी पूरे यूक्रेन पर कब्जा करने और पूर्व सोवियत साम्राज्य के हिस्सों को दोबारा अपने नियंत्रण में लेने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। यह आकलन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम के बयानों से बिल्कुल उलट है, जो दावा कर रहे हैं कि पुतिन युद्ध खत्म करने के इच्छुक हैं।
पुतिन के इरादों पर खुफिया एजेंसियों की सख्त राय
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि पुतिन के इरादे आज भी वही हैं, जो फरवरी 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर हमला शुरू करते समय थे। सबसे नई खुफिया रिपोर्ट सितंबर के अंत की बताई जा रही है। इसमें साफ कहा गया है कि रूस का दीर्घकालिक लक्ष्य सिर्फ कुछ इलाकों पर कब्जा करना नहीं, बल्कि पूरे यूक्रेन को अपने प्रभाव में लाना है।
ये निष्कर्ष यूरोपीय देशों और उनकी खुफिया एजेंसियों के आकलन से भी मेल खाते हैं। यूरोपीय नेताओं का मानना है कि अगर रूस यूक्रेन में सफल होता है, तो इसके बाद उसकी नजरें पूर्व सोवियत ब्लॉक के अन्य देशों पर होंगी, जिनमें नाटो के कुछ सदस्य देश भी शामिल हैं।
अमेरिकी हाउस इंटेलिजेंस कमिटी के डेमोक्रेट सदस्य माइक क्विग्ली ने कहा, “खुफिया जानकारी हमेशा यही रही है कि पुतिन और ज्यादा चाहते हैं। यूरोपीय लोग इस पर पूरी तरह यकीन करते हैं। पोलैंड वाले इसे लेकर बेहद चिंतित हैं और बाल्टिक देशों को लगता है कि वे रूस के अगले निशाने पर हो सकते हैं।”
यूक्रेन का कितना हिस्सा रूस के कब्जे में?
वर्तमान हालात की बात करें तो रूस यूक्रेन के करीब 20 प्रतिशत क्षेत्र पर कब्जा जमाए हुए है। इसमें लुहांस्क और दोनेत्स्क प्रांतों का बड़ा हिस्सा, जिसे डोनबास औद्योगिक क्षेत्र कहा जाता है, शामिल है। इसके अलावा जापोरिज्जिया और खेरसॉन के कुछ हिस्से तथा क्रीमिया पहले से ही रूस के नियंत्रण में हैं। पुतिन इन सभी क्षेत्रों को रूस का अभिन्न हिस्सा बताते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, केवल इसी साल रूसी सेना ने करीब 6,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा किया है। यह आंकड़ा बताता है कि युद्ध के तमाम दावों और शांति की बातों के बावजूद जमीनी हालात अब भी बेहद तनावपूर्ण हैं।
शांति वार्ताओं की स्थिति क्या है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम इस समय एक 20-पॉइंट शांति योजना पर काम कर रही है। इस प्रयास में ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर और रियल एस्टेट डेवलपर स्टीव विटकॉफ यूक्रेन, रूस और यूरोपीय अधिकारियों से लगातार बातचीत कर रहे हैं। बर्लिन में हुई बैठकों में अमेरिकी, यूक्रेनी और यूरोपीय वार्ताकार यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी पर कुछ हद तक सहमत हुए हैं।
इन सुरक्षा गारंटियों में मुख्य रूप से यूरोपीय सुरक्षा बलों की तैनाती, यूक्रेन की सेना की संख्या को लेकर सीमा तय करना, अमेरिका से खुफिया जानकारी और अन्य सहायता, तथा अमेरिकी सीनेट से मंजूरी के बाद संभावित हवाई गश्त शामिल हैं। हालांकि, कुछ सूत्रों का कहना है कि ये गारंटियां यूक्रेन के कुछ क्षेत्रों को छोड़ने पर निर्भर हो सकती हैं।
जेलेंस्की का सख्त रुख
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की किसी भी हाल में क्षेत्र छोड़ने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने साफ कहा है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि प्रस्तावित सुरक्षा गारंटियां वास्तव में यूक्रेन की रक्षा कैसे करेंगी। वहीं, ट्रंप की टीम यूक्रेन पर दबाव बना रही है कि वह दोनेत्स्क के कुछ हिस्सों से अपनी सेना हटाए, लेकिन ज्यादातर यूक्रेनी नेता और आम जनता इसके खिलाफ हैं। रूस की ओर से पुतिन ने हाल ही में कहा है कि वे शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने विदेशी सैनिकों की यूक्रेन में तैनाती का कड़ा विरोध किया है और अपनी शर्तों पर ही बातचीत की बात कही है।
विरोधाभासी बयान और बढ़ती अनिश्चितता
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने दावा किया कि ट्रंप की टीम ने युद्ध खत्म करने की दिशा में बड़ी प्रगति की है। वहीं, अमेरिकी खुफिया निदेशक तुलसी गब्बार्ड का कहना है कि रूस न तो पूरे यूक्रेन पर कब्जा करने की क्षमता रखता है और न ही वह यूरोप से बड़ा युद्ध चाहता है। दूसरी ओर, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने माना कि पुतिन के असली इरादों को लेकर अभी भी संदेह बना हुआ है।
क्रेमलिन की तरफ से प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ये रिपोर्ट्स गलत और तथ्यहीन हैं। हालांकि, मौजूदा हालात को देखते हुए यह साफ है कि यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया अभी भी अनिश्चितता और तनाव के दौर से गुजर रही है।