आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक जंग एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर नजर आ रही है। एक तरफ जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालते ही आक्रामक रुख अपनाते हुए नाइजीरिया में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के ठिकानों पर हवाई हमला किया, वहीं दूसरी तरफ तुर्की (तुर्किये) ने भी इस आतंकी संगठन के बड़े नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाया है। ये घटनाएं साफ करती हैं कि 2019 में अपना भौगोलिक नियंत्रण खोने के बावजूद ISIS अब भी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है।
तुर्की में ISIS के खिलाफ 'सर्जिकल स्ट्राइक'
क्रिसमस और नए साल के जश्न के दौरान आतंकी साजिशों को नाकाम करने के लिए तुर्की के सुरक्षा बलों ने एक व्यापक अभियान चलाया। खुफिया सूचनाओं के आधार पर इस्तांबुल समेत देश के कई हिस्सों में छापेमारी की गई। इस्तांबुल के मुख्य लोक अभियोजक कार्यालय के अनुसार, आतंकियों की योजना छुट्टियों के दौरान सार्वजनिक स्थलों और विशेष रूप से गैर-मुस्लिम समुदायों को निशाना बनाने की थी।
कार्रवाई के मुख्य बिंदु:
-
गिरफ्तारियां: पुलिस ने 137 संदिग्धों के खिलाफ वारंट जारी किए थे, जिनमें से 115 संदिग्धों को 124 अलग-अलग ठिकानों से हिरासत में लिया गया।
-
बरामदगी: छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और डिजिटल दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
-
इतिहास का सबक: तुर्की यह सख्ती 2017 में नए साल के दौरान इस्तांबुल के 'रीना नाइटक्लब' पर हुए हमले के बाद से बरत रहा है, जिसमें दर्जनों निर्दोष लोग मारे गए थे।
नाइजीरिया में ट्रंप का कड़ा प्रहार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर-पश्चिमी नाइजीरिया में ISIS के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर यह संदेश दिया है कि उनकी सरकार आतंकवाद के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की नीति पर चलेगी। नाइजीरिया और उसके आसपास के अफ्रीकी देशों में पिछले कुछ वर्षों में ISIS के सहयोगी संगठन (जैसे ISWAP) काफी सक्रिय हुए हैं। अमेरिका का यह हमला उन सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने के लिए था जहां से आतंकी भविष्य के हमलों की योजना बना रहे थे।
ISIS: खत्म हुआ क्षेत्र, लेकिन विचारधारा अब भी सक्रिय
2015 में अपने चरम पर रहने वाला ISIS आज भले ही इराक और सीरिया में जमीन हार चुका है, लेकिन इसके 'स्लीपर सेल' अब भी दुनिया भर में फैले हुए हैं।
-
अफ्रीका में विस्तार: सीरिया और इराक में हार के बाद ISIS ने अफ्रीका को अपना नया केंद्र बनाया है। नाइजीरिया और मोजाम्बिक जैसे देशों में इसके गुट लगातार सिर उठा रहे हैं।
-
मध्य एशिया का खतरा: तुर्की की खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा के पास सक्रिय ISIS के एक वरिष्ठ सदस्य को भी पकड़ा है, जो तुर्की का नागरिक था। यह दर्शाता है कि संगठन अब मध्य एशिया में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहा है।
तुर्की की भौगोलिक चुनौती
सीरिया के साथ साझा होने वाली 900 किलोमीटर लंबी सीमा तुर्की के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। युद्धग्रस्त सीरिया से आतंकियों की घुसपैठ रोकना मुश्किल होता है। हालांकि, सीरिया के नए प्रशासन और अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के साथ मिलकर तुर्की इन आतंकी तत्वों को जड़ से मिटाने की कोशिश कर रहा है।
निष्कर्ष
वैश्विक सुरक्षा एजेंसियां इस समय हाई अलर्ट पर हैं। ट्रंप की सैन्य कार्रवाई और तुर्की की खुफिया सक्रियता यह बताती है कि दुनिया अब आतंकियों को पनपने का मौका नहीं देना चाहती। विशेष रूप से साल के अंत में होने वाले आयोजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकारों के लिए प्राथमिकता बन गया है। जब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय मिलकर काम नहीं करेगा, तब तक ISIS जैसे संगठनों के नेटवर्क को पूरी तरह खत्म करना चुनौतीपूर्ण रहेगा।