लखनऊ न्यूज डेस्क: लखनऊ में ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बहकाकर और लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है, जो बिल्कुल गलत है। उन्होंने दावा किया कि कुछ मिशनरी समूह एक सुनियोजित अभियान के तहत लोगों को अपने धर्म में शामिल करने के लिए उनका हुलिया बदलने तक का प्रयास कर रहे हैं।
मौलाना ने इस तरह के जबरन धर्म परिवर्तन की निंदा करते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने की पूरी आज़ादी है, लेकिन अगर किसी को लालच देकर या दबाव डालकर धर्म बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा है, तो यह निंदनीय है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि ऐसे मामलों की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि किसी को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर न किया जा सके।
इसके अलावा, मौलाना यासूब अब्बास ने भाषाओं को धर्म से जोड़ने की प्रवृत्ति पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा किसी विशेष धर्म या समुदाय की नहीं होती। उर्दू, हिंदी, फारसी सहित हर भाषा का ज्ञान प्राप्त करना सबका अधिकार है। उन्होंने उन बयानों का विरोध किया, जिनमें कहा जाता है कि उर्दू पढ़ने वाले लोग वैज्ञानिक नहीं बन सकते।
मौलाना ने इस बात पर जोर दिया कि मदरसों के बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस और आईपीएस बनकर देश की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय के अलावा, सिख समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में उर्दू पढ़ रहे हैं। भाषा को धर्म से जोड़ना गलत है और ऐसे भेदभावपूर्ण विचारों का सभी को विरोध करना चाहिए।