लखनऊ न्यूज डेस्क: लखनऊ के चिनहट स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक के लॉकर काटकर करोड़ों रुपये के गहने और कीमती सामान चोरी के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में पता चला कि चोरी करने वाला गिरोह बिहार का था, जो 17 दिसंबर को लखनऊ आया था। चार दिन तक बैंक और उसके आसपास की हर गतिविधि पर नजर रखने के बाद उन्होंने वारदात को अंजाम देने की योजना बनाई।
शनिवार की रात करीब 12 बजे गिरोह दो बाइकों से बैंक के पास पहुंचा। उन्होंने बाइकों को कुछ दूरी पर खड़ा किया और खाली प्लॉट के रास्ते बैंक की दीवार में सेंध लगाकर अंदर घुस गए। चोरों ने पहचान छिपाने के लिए नकाब और हेलमेट पहन रखा था। वे पहले से जानते थे कि सीसीटीवी कैमरे कहां-कहां लगे हैं।
शनिवार रात चोरों ने बैंक के स्ट्रांग रूम तक पहुंचकर 90 में से 42 लॉकर तोड़े और करोड़ों रुपये के जेवर लेकर फरार हो गए। हैरानी की बात यह है कि चोर साढ़े तीन घंटे तक बैंक के अंदर रहे और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।
रविवार को घटना का पता तब चला, जब बैंक के बगल में स्थित फर्नीचर दुकानदार के बेटे ने खाली प्लॉट पर दीवार में सेंध देखी। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और फॉरेंसिक व डॉग स्क्वायड टीम को बुलाया। हालांकि, डॉग स्क्वायड टीम घटनास्थल से 200 मीटर दूर तक ही सुराग ढूंढ पाई।
बैंक मैनेजर संदीप सिंह ने ताला खोलकर देखा तो स्ट्रांग रूम की दीवार टूटी हुई थी और लॉकर खाली पड़े थे। हालांकि, तिजोरी सुरक्षित थी और उसमें रखे 12 लाख रुपये चोरी होने से बच गए। डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने बताया कि चोरों ने सिर्फ लॉकर तोड़े थे और तिजोरी को नहीं छेड़ा।
एसीपी विभूतिखंड राधारमण सिंह ने कहा कि चोर रात 12:30 बजे बैंक के अंदर घुसे और सुबह चार बजे वहां से निकल गए। पुलिस ने इस घटना की जांच के लिए छह टीमें गठित की हैं। घटना स्थल मटियारी पुलिस चौकी से केवल 150 मीटर की दूरी पर है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
बैंक अधिकारियों ने सफाई देते हुए कहा कि सुरक्षा में कोई कमी नहीं थी और बैंक की व्यवस्था आरबीआई के नियमों के तहत थी। लॉकर में डबल लॉक की व्यवस्था थी, जिसकी एक चाबी बैंक के पास और दूसरी ग्राहक के पास होती है।
इंडियन ओवरसीज बैंक के जोनल हेड विकास वर्मा ने घटनास्थल का दौरा किया और नुकसान का जायजा लिया। जिला अग्रणी प्रबंधक मनीष पाठक ने बताया कि बैंक की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस और गश्ती दल की होती है। घटना के बाद बैंक की सुरक्षा व्यवस्था और जिम्मेदारी को लेकर चर्चा तेज हो गई है।