पाकिस्तान में इस वक्त बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है, खासकर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस भयानक बाढ़ में अब तक करीब 1,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 900 से अधिक लोग घायल हैं। हालात इतने भयंकर हैं कि कई इलाके नक्शे से ही गायब हो गए हैं। बाढ़ के पानी के साथ बहने वाले बड़े-बड़े पत्थरों ने तो जैसे पूरा क्षेत्र तहस-नहस कर दिया है। नदी किनारे बसे कई गांव पूरी तरह समाप्त हो चुके हैं, जिनका अब नामोनिशान तक नहीं बचा।
बाढ़ ने मचाई तबाही, पूरे गांव हुए खत्म
खैबर पख्तूनख्वा में आई इस भीषण बाढ़ ने पूरी तरह से लोगों की ज़िंदगियाँ तबाह कर दी हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के कोऑर्डिनेटर इख्तियार वली खान ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और बताया कि ‘चगरजी और बशोनी जैसे पूरे गांव नक्शे से मिट गए हैं।’ उनका कहना है कि ‘पूरे परिवार एक झटके में खत्म हो गए हैं और मलबे में सैकड़ों लोग लापता हैं।’ इख्तियार वली खान ने कहा कि केवल दीर जिले में 1,000 से ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं, वहीं 1,000 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि बाढ़ ने कितनी भयानक तबाही मचाई है।
बाढ़ के कारण बने विशाल पत्थर
बाढ़ के पानी के साथ बहने वाले पत्थर इतने बड़े थे कि वे ट्रकों से भी बड़े नजर आए। इस बात से बाढ़ की तीव्रता और विनाशकारी प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है। ये पत्थर बहकर कई इलाकों में बड़ी तबाही मचा गए और कई मकान व संरचनाएं पूरी तरह धराशायी हो गईं। इससे प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य करने में भी भारी कठिनाई आ रही है।
26 जून से बाढ़ के विनाशकारी आंकड़े
पाकिस्तान की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने बाढ़ से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं, जिनसे पता चलता है कि 26 जून से अब तक देश भर में बाढ़ और भारी बारिश की वजह से करीब 657 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 929 लोग घायल हुए हैं। इनमें से खैबर पख्तूनख्वा प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इसके अलावा, बाढ़ के पानी ने बुनेर में एक पुलिस थाने को भी पूरी तरह बहा दिया है, जो सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी क्षति है।
राहत कार्यों में बाधाएं और प्रशासन की चुनौतियां
इस भीषण बाढ़ के कारण प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत कार्यों को अंजाम देना बेहद मुश्किल हो रहा है। मलबे और भारी बारिश की वजह से रास्ते बंद हो गए हैं और लोगों तक सहायता पहुंचाना एक चुनौती बन गया है। स्थानीय प्रशासन और बचाव दल हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां और मौसम की मार ने राहत कार्यों को काफी कठिन बना दिया है।
प्रभावित परिवारों की दुर्दशा
बाढ़ में जिन परिवारों को अपना सब कुछ खोना पड़ा है, उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय है। कई लोगों के घर, पशु, अनाज और सम्पत्ति पानी में बह गए हैं। कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है, लेकिन शरणार्थी शिविरों में उनकी जीवन स्थिति भी अत्यंत असुविधाजनक बनी हुई है। खाद्य सामग्री, साफ पानी और दवाओं की भारी कमी के कारण वहां रहने वाले लोग बीमार पड़ने लगे हैं।
आगे का रास्ता और जरूरतें
इस बाढ़ के प्रकोप को देखते हुए पाकिस्तान को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मदद की सख्त जरूरत है। राहत सामग्री, दवाइयां, भोजन, और चिकित्सकीय सहायता के साथ-साथ पुनर्वास के लिए भी व्यापक स्तर पर योजना बनानी होगी। इसके साथ ही बाढ़ नियंत्रण और भविष्य में ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा सहित कई हिस्सों में आई इस विनाशकारी बाढ़ ने न केवल हजारों लोगों की जान ली है, बल्कि पूरे समुदायों को तबाह कर दिया है। नक्शे से गायब हुए गांव, भारी मलबे, और बड़े-बड़े पत्थर यह सब बाढ़ की भीषणता को दर्शाते हैं। इस आपदा से उबरने के लिए व्यापक राहत कार्यों और बेहतर तैयारियों की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों से कम नुकसान हो सके। लोगों की जान-माल की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए, और इसके लिए सरकार एवं संबंधित एजेंसियों को सतर्क रहना होगा।