ओडिशा की नुआपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 11 नवंबर को होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। मतदान से ठीक पहले, बीजू जनता दल (बीजेडी) प्रमुख और ओडिशा के नेता प्रतिपक्ष, नवीन पटनायक, ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने मतदान से 48 घंटे पहले लागू कानूनी रूप से अनिवार्य मौन अवधि (Silence Period) के उल्लंघन की शिकायत की है और चुनाव आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है।
नवीन पटनायक का 'मौन अवधि उल्लंघन' का आरोप
नवीन पटनायक ने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए आरोप लगाया है कि नुआपाड़ा में चुनावी नियमों का गंभीर उल्लंघन किया जा रहा है:
"हमारे संज्ञान में आया है कि नुआपाड़ा में मतदान से 48 घंटे पहले कानूनी रूप से अनिवार्य मौन अवधि के दौरान गंभीर उल्लंघन हो रहे हैं। हमारे पास विश्वसनीय जानकारी है कि नुआपाड़ा के बाहर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और कार्यकर्ता खुलेआम घूम रहे हैं और अनुचित तरीकों से मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि यह स्थिति लोकतांत्रिक निष्पक्षता के मूल पर प्रहार करती है और चुनावी प्रक्रिया में जनता के विश्वास को कम करती है। पटनायक ने चेतावनी दी कि यदि ऐसी कार्रवाइयाँ जारी रहीं, तो चुनावों की अखंडता पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसलिए, उन्होंने भारत के चुनाव आयोग (ECI) से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
माओवाद और दुर्गम क्षेत्रों में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
एक तरफ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, प्रशासन ने माओवादी प्रभावित इलाकों में शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए कमर कस ली है। नुआपाड़ा का यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित होने के कारण सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है।
संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथ: प्रशासन ने कुल 101 बूथों को संवेदनशील और 57 बूथों को अत्यंत संवेदनशील घोषित किया है। इन महत्वपूर्ण इलाकों में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है, और निगरानी के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
दुर्गम क्षेत्रों में विशेष व्यवस्थाएँ:
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हेलीकॉप्टर से मतदान दल: सुनाबेड़ा वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र के पहाड़ी और नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान अधिकारियों को सुरक्षित लाने और ले जाने के लिए भारतीय वायु सेना के दो हेलीकॉप्टर तैयार रखे गए हैं। मतदान दलों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से दुर्गम इलाकों में भेजा गया है।
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संचार व्यवस्था: दुर्गम इलाकों में अक्सर नेटवर्क की समस्या होती है। इसे दूर करने और लगातार संपर्क बनाए रखने के लिए, मतदान कर्मियों को विशेष जिओ के सिम कार्ड प्रदान किए गए हैं। इससे वे मतदान की हर गतिविधि की रियल-टाइम रिपोर्ट दे सकेंगे।
यह उपचुनाव न केवल नुआपाड़ा के लिए, बल्कि ओडिशा की राजनीतिक दिशा के लिए भी महत्वपूर्ण है। पटनायक के आरोपों के बाद, अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देता है और माओवादी चुनौती के बीच मतदान प्रक्रिया कितनी शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होती है।
क्या आप जानना चाहेंगे कि चुनाव आयोग द्वारा मौन अवधि (Silence Period) के दौरान किन गतिविधियों पर कानूनी रूप से प्रतिबंध होता है?