इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर गलत और भ्रामक जानकारी को तेजी से फैलाना एक गंभीर चुनौती बन चुका है। इसी कड़ी में, सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय सेना को "आरएसएस की सेना" और "हिंदुत्व की सेना" कहा है। इस भ्रामक दावे के साथ, यह भी लिखा गया है कि जो लोग इस बात से असहमत हैं, उन्हें पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए।
वायरल दावा और वीडियो
फेसबुक पर एक यूजर ने यह वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा: "अमित शाह ने अपने हालिया बयान में भारतीय सेना के भगवाकरण की अपनी इच्छा खुलकर ज़ाहिर की है। उन्होंने कहा कि जो कोई भी भारतीय सेना के राजनीतिकरण से असहमत है, उसे पाकिस्तान वापस भेज दिया जाना चाहिए क्योंकि यह मूलतः एक हिंदुत्व सेना है और ऐसी ही रहेगी।"
वीडियो में अमित शाह को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि "भारतीय सेना हिंदुत्व की सेना है, यह आरएसएस की सेना है।" वायरल पोस्ट में गृह मंत्री के इस कथित बयान को भारतीय सेना के राजनीतिकरण के रूप में दर्शाया गया है।
फ़ैक्ट चेक में क्या निकला?
इंडिया टीवी ने इस संवेदनशील दावे की गंभीरता को देखते हुए इसकी गहन जाँच करने का फैसला किया।
1. मूल वीडियो की जाँच: वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए, हमने वीडियो के की-फ्रेम का उपयोग करके गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। इस खोज से हमें अमित शाह के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर 25 अक्टूबर, 2025 को लाइव स्ट्रीम किया गया उनकी एक रैली का पूरा वीडियो मिला। अमित शाह यह भाषण बिहार के मुंगेर में दे रहे थे। हमने पाया कि वायरल वीडियो में गृह मंत्री का पहनावा और पृष्ठभूमि असली वीडियो से पूरी तरह मेल खाती है।
हालांकि, जब हमने पूरा वीडियो ध्यान से देखा, तो हमें उसमें कहीं भी भारतीय सेना को "आरएसएस की सेना" या "हिंदुत्व की सेना" कहने वाली कोई भी टिप्पणी नहीं मिली।
2. डीपफेक विश्लेषण: पूरे वीडियो में ऐसी टिप्पणी न होने के बावजूद, वायरल वीडियो में अमित शाह को यह कहते हुए दिखाया गया है। इससे वीडियो के छेड़छाड़ होने का संदेह हुआ।
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विसंगतियाँ: वायरल वीडियो में हमने कई विसंगतियाँ देखीं, जैसे कि होंठों की अप्राकृतिक हरकतें जो ऑडियो के साथ तालमेल में नहीं थीं। साथ ही, वीडियो में जबड़े की रेखा धुंधली दिखाई दे रही थी, जो एडिटिंग का संकेत देती है।
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एआई डिटेक्शन टूल का उपयोग: इन संकेतों के आधार पर, इंडिया टीवी की डेस्क ने वीडियो को एक एआई-डिटेक्शन टूल, डीपफेक-ओ-मीटर, पर चलाया। टूल ने तुरंत पुष्टि की कि यह वीडियो डीपफेक (Deepfake) है।
निष्कर्ष और चेतावनी
यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो और उसके साथ किया गया दावा झूठा और भ्रामक है। अमित शाह ने भारतीय सेना को लेकर ऐसा कोई भी बयान नहीं दिया है।
यह वीडियो दुर्भावनापूर्ण तरीके से एआई की मदद से बनाया गया है ताकि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए गलत जानकारी फैलाई जा सके।
लोगों को सलाह दी जाती है कि वे सोशल मीडिया पर इस तरह के एडिट किए गए (डीपफेक) वीडियो और झूठे दावों पर विश्वास न करें और उन्हें आगे साझा करने से बचें। किसी भी संवेदनशील जानकारी को साझा करने से पहले हमेशा उसके आधिकारिक स्रोत की जाँच करें।