फिल्म रिव्यु - Laal Singh Chaddha
                                                
                                                
                                                
                                                    
                                                
                                                कभी हंसाएगी तो कभी रोने पर मजबूर कर देगी आमिर खान की ‘लाल सिंह चड्ढा’,  ओरिजिनल से भी बेहतरीन है
                                             
											
                                                
                                                बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान और करीना कपूर स्टारर लाल सिंह चड्ढा लंबे इंतजार के बाद रिलीज हो गई है। अद्वैत चंदन के निर्देशन में बनी फिल्म लाल सिंह चड्ढा 1994 की अमेरिकी ड्रामा फिल्म फॉरेस्ट गंप का रीमेक है। इस फिल्म में आमिर खान सरदार बने हैं और करीना उनकी सरदारनी। साउथ स्टार नागा चैतन्य भी 'लाल सिंह चड्ढा' से अपना बॉलीवुड डेब्यू करने जा रहे हैं। अगर आप इस फिल्म को देखने का मन बना रहे हैं तो जानें कैसी है ये फिल्म- 
क्या है कहानी
लाल सिंह चड्ढा की कहानी (Laal Singh Chaddha story) पंजाब के लड़के लाल सिंह चड्ढा (आमिर खान) की है, जो दिव्यांग है और बिना सहारे के चल नहीं सकता है। उसकी मम्मी (मोना सिंह) उसका लगातार हौसला बढ़ाती है कि वह दूसरों से कम नहीं है और वह भाग सकता है। लाल की मुलाकात रूपा (Kareena Kapoor) से होती है और एक घटना के बाद वह भागने लगता है। फिल्म के जरिए भारतीय इतिहास के कई घटनाक्रम को दिखाया गया है। देश की आज़ादी हो, सिखों के खिलाफ हुई हिंसा हो, फिल्म बेहतर तरीके से इन घटनाओं को दिखाती है। पर्दे पर आमिर खान को कोई मुकाबला नहीं है। ऐसे लगता है कि जैसे ये रोल उनके लिए ही बना हो। आमिर की रीढ़ बनी हैं करीना और उनकी ऊर्जा कमाल की है। सरदारनी का रोल उन पर हमेशा से जमता है। पूरी फिल्म में लाल सिंह चड्ढा का कॅरेक्टर ऐसा है जो आपको प्रेरित करता है और काफी कुछ सिखा जाता है. 
एक्टिंग, दिग्दर्शन और म्यूजिक
आमिर खान की एक्टिंग को शायद रिव्यू नहीं किया जा सकता, लेकिन फिल्म का ट्रेलर आने के बाद कई तरह की बातें हुईं कि आमिर तो अपनी ही फिल्मों की कॉपी कर रहे हैं, लेकिन लाल सिंह चड्ढा देखकर आपको ऐसा नहीं लगेगा. आप आमिर के कायल हो जाएंगे. ट्रेन में गोल गप्पे कैसे आए इसका जवाब भी मिल जाएगा. आमिर एक-एक फ्रेम में छाए हुए हैं.उनका बचपन से अधेड़ उम्र तक का सफर कमाल तरीके से दिखाया गया है. छोटे आमिर खान ने भी कमाल की एक्टिंग की है और बड़े वाले तो हैं ही लाजवाब.करीना कपूर का काम अच्छा है हालांकि उनका रोल थोड़ा कम होना चाहिए था. नागा चैतन्य आपका दिल जीत ले जाते हैं. आर्मी का ये जवान चड्डी बनियान का बिजनेस करना चाहता है और उसकी प्लानिंग का तरीका आपका दिल जीत लेता है. आमिर की मां के किरदार में मोना सिंह का काम अच्छा है. मोहम्मद पाजी के किरदार में मानव बिज का काम भी अच्छा है  और शाहरुख खान का गेस्ट अपीयरेंस तो दिल जीत लेता है. कुल मिलाकर एक्टिंग के मामले में ये फिल्म शानदार है
क्यों देखे ये फिल्म
अतुल कुलकर्णी ने फिल्म की कहानी लिखी है और शानदार तरीके से लिखी है.फिल्म का फर्स्ट हाफ तो बहुत कमाल का है.आपकी आंखें कई बार नम होती हैं. आप हंसते भी हैं...रोते भी हैं..हैरान भी होते हैं...सेकेंड हाफ थोड़ा स्लो है और लगता है कि लव स्टोरी वाला एंगल लंबा कर दिया गया और उसे छोटा किया जा सकता था, लेकिन ये लव स्टोरी  लाल की जिंदगी का काफी अहम हिस्सा है. फिल्म का म्यूजिक अच्छा है और फिल्म की पेस को आगे बढ़ाता है. कई मायनों में, लाल सिंह चड्ढा एक रोल मॉडल है. वह अपने काम के बारे में ज्यादा नहीं सोचता. कभी कभी दिमाग से ज्यादा दिल साथ देता है, ये इस कहानी में बड़ी खूबसूरती से बताया गया है. आमिर की इस फिल्म के बॉयकॉट की मांग जोर शोर से हो रही है, लेकिन बॉयकॉट करने वालों की बात करने वालों को भी पहले ये फिल्म देखनी चाहिए क्योंकि अच्छे सिनेमा को अच्छा ट्रीटमेंट जरूर मिलना चाहिए.