हांगकांग, जिसे न्यूयॉर्क सिटी और लंदन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक वित्तीय केंद्र माना जाता है, आज एक भीषण आग त्रासदी से जूझ रहा है। हांगकांग के ताई पो इलाके में बुधवार को लगी आग ने वांग फुक कोर्ट नामक एक विशाल रिहायशी कॉम्प्लेक्स को कुछ ही घंटों में राख में बदल दिया।
35-35 मंजिला ऊंची 8 इमारतों से बने इस कॉम्प्लेक्स में लगभग दो हजार अपार्टमेंट थे। यह हादसा इतना भयानक था कि अब तक 44 लोगों की मौत हो चुकी है और 279 से अधिक लोग घायल हैं। इस त्रासदी ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया है और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बांस की मचान बनी त्रासदी का कारण
शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि आग की शुरुआत उन बांस की मचानों (bamboo scaffolding) से हुई जो इमारतों के चारों ओर मरम्मत के काम के लिए लगाई गई थीं। विडंबना यह है कि यही बांस की मचानें, जिनके लिए हांगकांग दुनिया भर में मशहूर रहा है, इस भीषण त्रासदी का एक बड़ा कारण बन गईं।
कैसे शुरू हुई आग?
वांग फुक कोर्ट के सभी टावर छत तक बांस की मचान और हरी कंस्ट्रक्शन नेटिंग से ढके हुए थे। मरम्मत का काम चलने के कारण इमारतों के बाहरी हिस्से पूरी तरह से स्कैफोल्डिंग से घिरे हुए थे।
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बांस पर शुरुआत: आग सबसे पहले इसी बांस की मचान पर लगी।
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तेज फैलाव: तेज हवा, सूखे बांस की अत्यधिक ज्वलनशीलता और जलते हुए मलबे ने आग को एक इमारत से दूसरी इमारत तक तेजी से फैलने में मदद की।
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ऊर्ध्वाधर विस्तार: चूंकि बांस बहुत जल्दी जलता है और आग ऊपर की तरफ बहुत तेज़ी से फैलती है, इसलिए पूरा कॉम्प्लेक्स देखते ही देखते आग की विकराल लपटों में घिर गया, जिससे निवासियों को बचने का बहुत कम समय मिल पाया।
हांगकांग की पहचान, अब बड़ा खतरा
बांस की मचान हांगकांग की सदियों पुरानी पहचान और निर्माण संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। यह हल्का, मजबूत, सस्ता और आसानी से उपलब्ध होता है। लंबे बांस की पोलों को मिनटों में जोड़कर ऊँचाई तक मचान तैयार किया जा सकता है। यही कारण है कि आधुनिक वास्तुकला के बावजूद, हांगकांग दुनिया के उन गिने-चुने शहरों में शामिल है जहाँ अभी भी बड़े पैमाने पर बांस की मचान का इस्तेमाल होता है।
लेकिन इस लचीलेपन और लागत-प्रभावशीलता के साथ एक बड़ा खतरा भी जुड़ा हुआ है: इसकी तीव्र ज्वलनशीलता। यह हालिया त्रासदी इसी खतरे को भयानक रूप से उजागर करती है।
सरकार क्यों कर रही है बांस पर रोक की तैयारी?
यह हादसा हांगकांग सरकार के उन प्रयासों को बल देता है, जिनमें वह बांस की मचान के इस्तेमाल को धीरे-धीरे कम करने की कोशिश कर रही है। सरकार के डेवलपमेंट ब्यूरो के अनुसार, बांस में कई प्राकृतिक कमियाँ हैं:
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जल्दी जलना: इसका सबसे बड़ा दोष इसका अत्यधिक ज्वलनशील होना है।
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यांत्रिक कमजोरी: समय के साथ इसकी यांत्रिक शक्ति (mechanical strength) में लगातार बदलाव आता है और यह कमजोर होता जाता है।
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मौसम का जोखिम: तूफान और तेज हवाओं में इसके टूटने या गिरने का जोखिम अधिक होता है।
ऐसी कई बार स्कैफोल्डिंग गिरने की घटनाओं ने भी चिंता बढ़ाई है। यही कारण है कि अधिकारी अब अधिक सुरक्षित और टिकाऊ माने जाने वाले स्टील और मेटल स्कैफोल्डिंग की ओर अपना रुझान बढ़ा रहे हैं।
यह आग पिछले 17 साल में सबसे बड़ी दुर्घटना बताई जा रही है। इससे पहले, 2008 में मोंग कोक के कॉर्नवाल कोर्ट में लगी आग में 4 लोगों की मौत हुई थी, और 1962 में लगी आग में भी 44 लोगों की जान गई थी। हालांकि, 1948 की आग शहर की सबसे घातक थी, जिसमें 176 मौतें हुई थीं। वांग फुक कोर्ट की त्रासदी ने एक बार फिर शहर के निर्माण सुरक्षा मानकों की समीक्षा की आवश्यकता को रेखांकित किया है।