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ढाका में भूकंप से बढ़ रही आफत, कैसे बनता जा रहा है एपिक सेंटर?

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Posted On:Saturday, November 22, 2025

बांग्लादेश में शुक्रवार को आए 5.7 तीव्रता वाले भूकंप ने ढाका समेत देश के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा में 10 लोगों की मौत हुई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए। विशेषज्ञों की मानें तो ढाका अब अप्रत्याशित रूप से तेज भूकंपीय गतिविधि का नया केंद्र (एपिक सेंटर) बनता जा रहा है, जो भविष्य के लिए गंभीर चेतावनी है।

ढाका यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 12 साल में 10 भूकंप दर्ज हुए हैं, जबकि इससे पहले के 485 सालों में सिर्फ 6 बड़े भूकंप आए थे। यह स्पष्ट रूप से क्षेत्र में भूवैज्ञानिक तनाव में वृद्धि का संकेत देता है।

एपिसेंटर का बदलता स्थान

भूकंपीय गतिविधि का केंद्र (एपिसेंटर) भी अब बदल रहा है। पहले यह ज्यादातर सिलहट, चिटगांव और कॉक्स बाजार जैसे क्षेत्रों में होता था। लेकिन अब यह मनिकगंज, नारायांगंज, मयमनसिंह, डोहार और नारसिंगी की ओर शिफ्ट हो गया है।

भूकंप विशेषज्ञ प्रोफेसर सैयद हुमायूं अख्तर ने 'समकाल' को बताया कि भारतीय प्लेट, बर्मा प्लेट के नीचे धंस रही है और यह दबाव कभी भी बड़े भूकंप के रूप में मुक्त हो सकता है, जिससे भविष्य में जोखिम बढ़ने की आशंका है।

खतरे के संकेत

  • अतीत के बड़े झटके: 1869 से 1930 के बीच, 61 सालों में इस क्षेत्र में 7 या उससे अधिक तीव्रता के 5 बड़े भूकंप आए थे। विशेषज्ञ इसे एक खतरनाक चक्र मानते हैं।

  • अस्थिर भूवैज्ञानिक तनाव: 2024 के बाद दर्ज 60 भूकंपों में से 31 की तीव्रता 3-4 के बीच थी। साथ ही नेपाल, भूटान, भारत और चीन में भी समान भूकंप महसूस किए गए, जो दर्शाते हैं कि पूरा क्षेत्र अस्थिर भूवैज्ञानिक तनाव में है।

  • पुनरावृत्ति चक्र: BUET के प्रोफेसर मेहदी अहमद अंसारी के अनुसार, लगभग 7 तीव्रता वाले भूकंप हर 100-150 साल में एक बार आते हैं, और बांग्लादेश इस खतरनाक चक्र के करीब खड़ा है।

ढाका: एक असुरक्षित शहर

समस्या सिर्फ भूकंप की आवृत्ति नहीं, बल्कि कमजोर तैयारी भी है। ढाका की विशाल आबादी एक बड़े खतरे के साये में जी रही है:

  • भवन कोड का उल्लंघन: ढाका के लगभग 6 लाख भवनों में से दो-तिहाई भवन निर्माण नियमों के अनुरूप नहीं हैं।

  • कमजोर तैयारी: भवन निर्माण कोड लगभग प्रभावहीन है और आपातकालीन तैयारी भी कमजोर है। जोखिम वाले 3,200 भवनों की पहचान हुई, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।

  • भूकंप-प्रतिरोधी भवनों की कमी: प्रोफेसर अंसारी के अनुसार, ढाका के लगभग 25% भवन भूकंप-प्रतिरोधी नहीं हैं।

लाखों जीवन दांव पर

अर्बन रेजिलियंस प्रोजेक्ट के आंकड़े और भी चिंताजनक हैं। 1885 में 7.5 तीव्रता का भूकंप आया था। अगर अब उसी फॉल्ट लाइन पर 6.9 तीव्रता का भूकंप आता है, तो:

  • 8 लाख 64 हजार से अधिक भवन ध्वस्त हो सकते हैं।

  • दिन में भूकंप आने पर 2 लाख से अधिक और रात में 3 लाख से अधिक लोगों की मौत हो सकती है।

हाउसिंग और पब्लिक वर्क्स सलाहकार आदिलुर रहमान खान ने कहा, "असल में इस देश में भूकंप जोखिम से निपटने के लिए कोई समन्वित राष्ट्रीय नीति नहीं है।"

जाहांगिरनगर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आदिल मुहम्मद खान ने ढाका में सुरक्षित और खुले स्थानों की भारी कमी पर जोर दिया। उनका कहना है कि शहर के विस्तार में शहरी नियोजन के मूल नियमों का पालन नहीं किया गया, जिससे आपदा के समय सुरक्षित आश्रय स्थल मौजूद नहीं हैं।


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