मुंबई, 9 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) हॉलीवुड और बॉलीवुड इंडस्ट्री से जुड़े समूहों ने भारत सरकार के एक पैनल से सख्त कॉपीराइट सुरक्षा की मांग की है। उनकी मुख्य चिंता यह है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) फर्म्स उनके बौद्धिक संपदा (intellectual property) का उपयोग अपने AI मॉडलों को प्रशिक्षित करने (train AI models) के लिए न करें। यह मांग ऐसे समय में आई है जब AI कंपनियों और कंटेंट मालिकों के बीच वैश्विक स्तर पर टकराव जारी है।
क्यों चिंतित हैं फिल्म स्टूडियो?
फिल्म इंडस्ट्री को विशेष रूप से इस बात की चिंता है कि AI टूल्स ऑनलाइन मौजूद उनके कॉपीराइटेड वीडियो, इमेजेज और क्लिप—जैसे कि ट्रेलर और प्रोमो—को खंगाल सकते हैं, और इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि वे इन प्लेटफॉर्मों पर पाइरेटेड कंटेंट को भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
भारत का मौजूदा कॉपीराइट कानून AI द्वारा उपयोग किए जाने वाले कंटेंट के संबंध में स्पष्ट प्रावधान नहीं करता है। इसी को देखते हुए, सरकार ने इस साल वकीलों, सरकारी अधिकारियों और उद्योग के अधिकारियों को मिलाकर एक पैनल का गठन किया है, जिसका उद्देश्य मौजूदा कॉपीराइट कानून की समीक्षा करना और AI से संबंधित विवादों से निपटने के लिए सिफारिशें देना है।
उद्योग की मांग: लाइसेंसिंग व्यवस्था को बढ़ावा दें
AI इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए भारत को व्यापक प्रशिक्षण छूट (blanket training exceptions) क्यों नहीं देनी चाहिए, इस पर पैनल की निजी पूछताछ के जवाब में, हॉलीवुड का प्रतिनिधित्व करने वाले मोशन पिक्चर एसोसिएशन (MPA) और प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपनी राय रखी है।
MPA की राय (जिसमें वार्नर ब्रदर्स, पैरामाउंट और नेटफ्लिक्स शामिल हैं): MPA इंडिया के प्रबंध निदेशक उदय सिंह ने अगस्त के एक पत्र में कहा कि AI को ऐसी छूट देने से "नए कार्यों के निर्माण का प्रोत्साहन कमजोर हो सकता है और भारत में कॉपीराइट सुरक्षा नष्ट हो सकती है।" MPA ने यह भी तर्क दिया कि भारत को अपने कॉपीराइट कानून में फेरबदल नहीं करना चाहिए, बल्कि इसके बजाय लाइसेंसिंग व्यवस्था (licencing regime) को बढ़ावा देना चाहिए।
प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की राय: गिल्ड के सीईओ नितिन तेज आहूजा ने पैनल को बताया कि "क्रिएटर्स के राजस्व और व्यवसाय की स्थिरता के लिए कॉपीराइट किए गए कार्यों को लाइसेंस देना आवश्यक है।"
इन फिल्म स्टूडियो की स्थिति बिजनेस सॉफ्टवेयर एलायंस (जो OpenAI जैसी AI फर्मों का प्रतिनिधित्व करता है) से बिल्कुल विपरीत है, जिसने सार्वजनिक रूप से तर्क दिया है कि नई दिल्ली को कानूनी AI उपयोग की अनुमति देने के लिए अपवाद सुनिश्चित करने चाहिए।
'ऑप्ट-आउट' सिस्टम से भी आपत्ति
MPA के सदस्यों को 'ऑप्ट-आउट' सिस्टम (Opt-out system) पर भी आपत्ति है। वे नहीं चाहते कि AI मॉडलों में कंटेंट के उपयोग की अनुमति 'ऑप्ट-आउट' प्रणाली के साथ दी जाए।
MPA इंडिया ने कहा है कि ऐसी छूट "भविष्य के निवेश, उच्च-गुणवत्ता वाले स्थानीय कंटेंट के विकास में बाधा डालेगी।"
'ऑप्ट-आउट' प्रणाली में, कंटेंट निर्माताओं पर ही यह ज़िम्मेदारी आ जाती है कि वे व्यक्तिगत रूप से AI प्लेटफॉर्मों पर अपने काम को ट्रैक करें और साझा होने से रोकें, जो एक बड़ा बोझ है।
भारत के फिल्म बाज़ार का महत्व
डेलॉइट-एमपीए के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में दुनिया के सबसे जीवंत फिल्म उद्योगों में से एक है। पिछले साल भारत के फिल्म, टीवी और ऑनलाइन कंटेंट उद्योग ने 13.1 बिलियन डॉलर का राजस्व अर्जित किया था, जो 2019 से हर साल 18% बढ़ रहा है।
यह विचार-विमर्श ऐसे समय में हो रहा है जब एक बॉलीवुड कपल ने अपने मैनिपुलेटेड वीडियो ऑनलाइन फैलने के बाद YouTube की AI नीतियों को चुनौती देने के लिए अदालत का रुख किया है, जो कंटेंट मालिकों की चिंताओं को और गहरा करता है।
पैनल अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप दे रहा है और आने वाले हफ्तों में इसे वरिष्ठ अधिकारियों के सामने पेश करेगा।