लखनऊ न्यूज डेस्क: हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 में लखनऊ टॉप 10 शहरों की सूची में नहीं है। डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर ऐंड क्लाइमेट एक्शन की नेशनल कोर कमेटी के सदस्य प्रो. सूर्यकान्त के अनुसार, लखनऊ और पूरे उत्तर प्रदेश में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ रहा है, जिससे औसत जीवनकाल में लगभग 6 साल की कमी आ सकती है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 'नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु का अंतरराष्ट्रीय दिवस' की पूर्व संध्या पर, प्रो. सूर्यकांत ने केजीएमयू में सांस की बीमारियों पर किए गए अध्ययन का उल्लेख किया।
केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. सूर्यकान्त ने बताया कि ऊर्जा नीति संस्थान की हालिया रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश में पीएम 2.5 के बढ़ने की चेतावनी दी गई है। वायु प्रदूषण से दमा, गले में दर्द, निमोनिया, एम्फायासीमा और ब्रोंकाइटिस के मामले बढ़ रहे हैं। अत्यधिक वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आंखों में लालपन, जलन, अधिक पानी आना और सूखापन की समस्याएं आम हैं। केजीएमयू में सांस की बीमारियों से प्रभावित मरीजों में चिढ़चिढ़ापन, बेचैनी और घबराहट जैसी समस्याएं भी देखी जा रही हैं।
प्रो. सूर्यकान्त ने सुझाव दिया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पार्क, गमलों और खाली जमीनों में औषधीय पौधे लगाकर आरोग्य वाटिकाएं बनानी चाहिए। इन पौधों से वायु प्रदूषण कम होगा और हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। उपहार के रूप में गुलदस्तों की जगह पौधे देने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल के बजाय सीएनजी या इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।