लखनऊ न्यूज डेस्क: लखनऊ की फ्लाइंग ऑफिसर तनुष्का सिंह ने इतिहास रच दिया है। वह भारतीय वायु सेना (IAF) के जगुआर फाइटर जेट स्क्वाड्रन में स्थायी नियुक्ति पाने वाली पहली महिला पायलट बन गई हैं। दो साल पहले भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट के रूप में चयनित हुईं तनुष्का को शुक्रवार को यह गौरव प्राप्त हुआ। जैसे ही यह खबर लखनऊ स्थित उनके घर पहुंची, बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया। उनके परिवार, खासकर बाबा कैप्टन देवेंद्र बहादुर सिंह और पिता लेफ्टिनेंट कर्नल अजय प्रताप सिंह के लिए यह गर्व का क्षण था, क्योंकि उनकी तीन पीढ़ियां सेना से जुड़ी रही हैं।
तनुष्का की पढ़ाई और सफर भी बेहद प्रेरणादायक रहा है। वह मूल रूप से लखनऊ के इंदिरानगर के पटेल नगर की रहने वाली हैं। उन्होंने 2007 से मंगलुरु में रहकर अपनी शिक्षा पूरी की और फिर मणिपाल इंस्टीट्यूट से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। पहले वह भारतीय थल सेना में जाने की इच्छुक थीं, लेकिन बाद में वायुसेना को अपना लक्ष्य बनाया। उन्होंने तमिलनाडु के डुंडीगल स्थित एयरफोर्स अकादमी से ट्रेनिंग ली और हॉक एमके-132 विमान उड़ाने में दक्षता हासिल की। अब उनकी नई भूमिका में वह भारतीय वायुसेना के शक्तिशाली जगुआर फाइटर जेट को उड़ाएंगी।
जगुआर फाइटर जेट भारतीय वायुसेना का एक प्रमुख हमलावर विमान है, जो परमाणु हमले की क्षमता रखता है। प्रशिक्षण के दौरान कई महिला पायलटों ने फाइटर जेट उड़ाया, लेकिन तनुष्का पहली महिला बनीं, जिन्हें जगुआर स्क्वाड्रन में स्थायी नियुक्ति मिली है। जल्द ही वह भारतीय आसमान में जगुआर उड़ाती नजर आएंगी। उनके परिवार में पिता अजय प्रताप सिंह के अलावा मां कुसुम लता और छोटी बहन अनुष्का सिंह हैं। अनुष्का भी बीटेक की पढ़ाई कर रही हैं और अपने परिवार की गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित हैं।
तनुष्का की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर लखनऊ के विभिन्न गणमान्य लोगों ने उनके परिवार को बधाई दी। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं इस्माइलगंज प्रथम वार्ड के पार्षद मुकेश सिंह चौहान, लोहिया विहार के सचिव रघुवीर सिंह परिहार, एचएल कर्मचारी यूनियन के पूर्व महासचिव जेपी डिमरी, मूर्ति मौर्या, राघवेंद्र त्रिपाठी और नृपेन्द्र सिंह सहित कई लोग रविवार को उनके घर पहुंचे और बाबा एवं दादी को शुभकामनाएं दीं।
तनुष्का सिंह की यह उपलब्धि भारतीय वायुसेना और महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी सफलता न सिर्फ वायुसेना में महिलाओं की भागीदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा बनेगी। उनका यह सफर दिखाता है कि सपने, कड़ी मेहनत और समर्पण के दम पर किसी भी ऊंचाई को छुआ जा सकता है।