लखनऊ न्यूज डेस्क: लखनऊ के मलिहाबाद तहसीलदार के नाम से एक फर्जी नोटिस गवर्नर आनंदी बेन पटेल को भेजी गई, जिसमें जमीन की वसीयत से संबंधित मामला उठाया गया था। यह नोटिस जब गवर्नर कार्यालय पहुंची, तो वहां हड़कंप मच गया। गवर्नर कार्यालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए जिलाधिकारी कार्यालय को पत्र लिखकर कहा कि इस तरह से गवर्नर को नोटिस नहीं दी जा सकती है। पत्र में संबंधित अधिकारी को सख्त चेतावनी भी दी गई।
जांच के बाद यह पता चला कि यह नोटिस पूरी तरह से फर्जी थी। मलिहाबाद तहसीलदार कार्यालय से ऐसी कोई नोटिस जारी ही नहीं हुई थी। यह नोटिस वसीयत के मामले से संबंधित थी, जिसमें मीरा देवी बनाम ग्राम सभा का मामला उठाया गया था। हालांकि, यह मामला पहले ही विवादित था, और राजस्व निरीक्षक ने इसे तहसीलदार पोर्टल पर भेजने के लिए निर्देशित किया था, लेकिन गवर्नर से इसका कोई संबंध नहीं था।
फर्जी नोटिस में यह दावा किया गया था कि वह गवर्नर आनंदी बेन पटेल को भेजी गई है, और इसके नीचे "माननीय राज्यपाल महोदया" लिखा था। गवर्नर हाउस के अधिकारियों ने इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए डीएम को पत्र भेजा और नोटिस की वैधता पर आपत्ति जताई। इस नोटिस को जीपीओ से भेजा गया था, जबकि मलिहाबाद तहसील से किसी भी तरह का पत्र जीपीओ द्वारा भेजे जाने का कोई रिवाज नहीं है।
जांच में यह भी सामने आया कि नोटिस हजरतगंज जीपीओ से भेजी गई थी, जबकि मलिहाबाद तहसील का कोई पत्र जीपीओ से नहीं भेजा जाता। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि यह नोटिस पूरी तरह से फर्जी थी। अधिकारियों ने राज भवन को इस मामले में सफाई दी, और राज भवन ने इस तरह की नोटिस भेजने की घटनाओं पर नाराजगी जताई।
एसडीएम मलिहाबाद ने इस मामले की जांच की पुष्टि करते हुए कहा कि यह नोटिस फर्जी थी और तहसीलदार द्वारा जारी नहीं की गई थी। उन्होंने बताया कि वसीयत के मामलों में नोटिस जारी नहीं की जाती, बल्कि इश्तहार दिया जाता है। अब इस फर्जी नोटिस के मामले में जांच जारी है, और आरोपी को शीघ्र ही पकड़ने की कोशिश की जा रही है।