लखनऊ न्यूज डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के बुलडोजर एक्शन पर कड़ी टिप्पणी की थी, इसके बावजूद रविवार को लखनऊ के कैसरबाग क्षेत्र में एक निर्माणाधीन बिल्डिंग पर एलडीए ने बुलडोजर से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की। आरोप है कि यह बिल्डिंग अवैध रूप से बनाई जा रही थी, जिसमें नीचे दो फ्लोर का अवैध बेसमेंट बनाया जा रहा था। इसके अलावा, इस बिल्डिंग का नक्शा लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) से पास नहीं कराया गया था। इस कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल और रेपिड फोर्स को घटनास्थल पर तैनात किया गया था।
बिल्डिंग के मालिकों, अरमान बशीर और ओवैस मिर्जा ने दावा किया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस बिल्डिंग पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर स्टे आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि एलडीए ने बिना समय दिए बिल्डिंग को ध्वस्त कर दिया। हालांकि, एलडीए अधिकारियों ने बताया कि यह निर्माण विवादित जमीन पर हो रहा था और इसके पास कोई वैध अनुमोदन नहीं था। बिल्डिंग के मालिकों ने आरोप लगाया कि उन्हें नक्शा पास कराने के लिए एक एलडीए के ब्रोकर से पैसे लिए गए थे, लेकिन बाद में अधिकारियों ने मिलकर उनकी बिल्डिंग पर कार्रवाई कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि किसी नागरिक की संपत्ति को ध्वस्त करके उनकी आवाज दबाने की कोशिश नहीं की जा सकती। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि किसी सभ्य न्याय व्यवस्था में बुलडोजर के जरिए न्याय नहीं किया जा सकता और किसी भी निर्माण को गिराने से पहले उचित सर्वेक्षण, लिखित नोटिस और आपत्तियों पर विचार किया जाना चाहिए। इस मामले में बिल्डिंग के मालिक अब इस कार्रवाई को लेकर कोर्ट जाने की योजना बना रहे हैं।