लखनऊ न्यूज डेस्क: कांग्रेस के आह्वान पर लखनऊ में विधानसभा का घेराव करने की तैयारी कर रहे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पहले ही नजरबंद कर दिया। कार्यकारी जिलाध्यक्ष प्रमोद कुमार मिश्रा, वरिष्ठ नेता राम प्रताप सिंह, शहर अध्यक्ष रफी रैनी, और शिव कुमार दूबे सहित कई नेताओं के घरों पर मंगलवार देर रात से ही पुलिस का पहरा लगा दिया गया। इसके बावजूद कांग्रेस नेता अरुण प्रताप सिंह डिंपल अपने समर्थकों के साथ लखनऊ में पार्टी मुख्यालय पहुंचने में सफल रहे।
कांग्रेस ने महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महिलाओं पर बढ़ते अपराध के खिलाफ विधानसभा के घेराव का ऐलान किया था। पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों ने प्रदर्शन में शामिल होने की योजना बनाई थी। लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी पुलिस को मिली, प्रशासन ने सभी प्रमुख नेताओं को नजरबंद कर दिया।
वरिष्ठ नेता राम प्रताप सिंह ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया। उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष को न सदन में बोलने दे रही है और न ही बाहर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दे रही है। कार्यकारी जिलाध्यक्ष प्रमोद मिश्रा और शिव कुमार दूबे को भी पुलिस ने उनके घरों में ही रोक दिया। बुधवार को शहर अध्यक्ष रफी रैनी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं का समूह लखनऊ रवाना होने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पुलिस ने उन्हें घर से निकलने नहीं दिया।
नजरबंदी के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने घरों के बाहर ही नारेबाजी शुरू कर दी। मौके पर पहुंचे अधिकारियों को कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा। रफी रैनी ने कहा कि सरकार कांग्रेस से डरी हुई है और तानाशाही तरीके अपना रही है। उन्होंने इसे बर्दाश्त न करने की चेतावनी दी।
प्रदर्शन की इस कार्रवाई ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आक्रोश बढ़ा दिया है। नेताओं का कहना है कि सरकार के इस रवैये से उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए आगे भी विरोध प्रदर्शन जारी रखने का संकल्प लिया है।