साल 2025 वित्तीय इतिहास के पन्नों में सोना-चांदी निवेशकों के लिए 'स्वर्ण युग' के रूप में दर्ज हो चुका है। इस साल बाजार में जो हलचल देखी गई, उसने दशकों पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। चांदी, जिसे अक्सर 'गरीबों का सोना' कहा जाता था, अब निवेशकों की पहली पसंद बनकर उभरी है और इसकी कीमतें 2.40 लाख रुपये प्रति किलो के स्तर को चुनौती दे रही हैं। कमोडिटी एक्सपर्ट अजय केड़िया के अनुसार, यह तेजी केवल एक शुरुआत हो सकती है।
चांदी की ऐतिहासिक चमक के पीछे के कारण
अजय केड़िया ने स्पष्ट किया कि चांदी में आई यह उछाल किसी अस्थायी सट्टेबाजी का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे ठोस बुनियादी कारण (Fundamentals) हैं:
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औद्योगिक मांग (Industrial Demand): आधुनिक तकनीक जैसे इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV), सोलर पैनल, 5G इंफ्रास्ट्रक्चर और सेमीकंडक्टर चिप्स में चांदी का अनिवार्य उपयोग हो रहा है। चांदी के बिना 'ग्रीन एनर्जी' का सपना अधूरा है।
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सप्लाई का संकट: चांदी की खदानों से उत्पादन उस गति से नहीं बढ़ रहा है जिस गति से मांग बढ़ी है।
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रणनीतिक धातु: कई विकसित देशों ने चांदी को 'क्रिटिकल मेटल' की श्रेणी में डाल दिया है, जिससे इसकी सरकारी स्तर पर जमाखोरी बढ़ी है।
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ETF निवेश: छोटे और बड़े निवेशकों द्वारा सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) में भारी लिवाली ने भी कीमतों को ऊपर धकेला है।
क्या 3 लाख रुपये का स्तर संभव है?
बाजार में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या चांदी 3 लाख रुपये का आंकड़ा छुएगी? अजय केड़िया के अनुसार, वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए यह असंभव नहीं लगता। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी ने $50 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर लिया है और अब इसका अगला पड़ाव $75 की ओर है।
हालांकि, उन्होंने निवेशकों को आगाह भी किया कि साल 2025 में चांदी करीब 140% चढ़ चुकी है, इसलिए बाजार में एक 'प्राइस करेक्शन' या 'टाइम करेक्शन' आना स्वाभाविक है। उनके अनुसार, निवेशकों को एकमुश्त पैसा लगाने के बजाय SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए हर गिरावट पर खरीदारी करनी चाहिए।
गोल्ड-सिल्वर रेशियो का महत्व
निवेशकों के लिए गोल्ड-सिल्वर रेशियो एक दिशा-सूचक यंत्र की तरह काम करता है। यह रेशियो बताता है कि एक औंस सोना खरीदने के लिए कितने औंस चांदी की आवश्यकता होगी।
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वर्तमान में यह रेशियो 62 के करीब है।
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ऐतिहासिक रूप से जब यह रेशियो नीचे की तरफ आता है, तो इसका मतलब होता है कि चांदी, सोने की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
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यह रेशियो अभी भी संकेत दे रहा है कि चांदी में सोने के मुकाबले मुनाफा कमाने की गुंजाइश अधिक है।
सोने और अन्य धातुओं का भविष्य
सोने के बारे में एक्सपर्ट का मानना है कि वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions) और केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने का भंडार बढ़ाने की नीति के कारण इसमें मजबूती बनी रहेगी। 2026 में सोना 1.5 लाख रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर की ओर बढ़ सकता है। इसके साथ ही, उन्होंने कॉपर (तांबा) को 'नया गोल्ड' करार दिया है, क्योंकि डिजिटल इकोनॉमी और रिन्यूएबल एनर्जी में इसकी भूमिका तेजी से बढ़ रही है।
निवेशकों के लिए मार्गदर्शिका
अजय केड़िया की सलाह है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने कुल निवेश पोर्टफोलियो का 15 से 20 प्रतिशत हिस्सा कमोडिटीज में रखना चाहिए।
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छोटा निवेश: जो लोग बड़ी राशि नहीं लगा सकते, वे ईटीएफ या डिजिटल गोल्ड/सिल्वर के जरिए ₹500 से शुरुआत करें।
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धैर्य: कमोडिटी मार्केट में उतार-चढ़ाव अधिक होता है, इसलिए लंबी अवधि का नजरिया रखें।
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सतर्कता: निवेश करने से पहले सेबी (SEBI) पंजीकृत सलाहकार से परामर्श अवश्य लें।
निष्कर्ष: 2025 ने निवेशकों को मालामाल किया है, और यदि वैश्विक मांग का यही रुझान जारी रहा, तो 2026 में चांदी का 3 लाख का स्तर छूना केवल समय की बात हो सकती है।