सोशल मीडिया आज के दौर में न केवल जानकारी पाने का सबसे तेज़ माध्यम बन गया है, बल्कि अफवाहों और झूठी खबरों का सबसे बड़ा अड्डा भी। हाल ही में ऐसी ही एक फर्जी खबर ने खूब सुर्खियां बटोरी, जिसमें भारतीय सेना की बहादुर अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी और आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के सबसे युवा खिलाड़ी वैभव सूर्यवंशी को लेकर एक दावा किया गया।
क्या है वायरल दावा?
एक सोशल मीडिया यूजर bollytrend2 ने एक फोटो शेयर की जिसमें कर्नल सोफिया और वैभव सूर्यवंशी को एक साथ दिखाया गया है। इस फोटो के साथ कैप्शन था –
"वैभव सूर्यवंशी और सोफिया कुरैशी, पॉजिटिविटी और खुशी देने वाली एक धमाकेदार जोड़ी!"
इस पोस्ट के बाद कई यूजर्स ने इस फोटो को शेयर करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते यह वायरल हो गई। कुछ लोगों ने इसे सच्चाई मान लिया और सोशल मीडिया पर दोनों की मुलाकात के लिए बधाइयाँ भी देने लगे।
क्या है सच्चाई?
इंडिया टीवी की फैक्ट चेक टीम ने जब इस वायरल फोटो की पड़ताल की तो सच्चाई सामने आ गई।
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सबसे पहले टीम ने गूगल पर इस फोटो को सर्च किया, लेकिन ऐसा कोई वास्तविक समाचार नहीं मिला जिसमें कर्नल सोफिया और वैभव सूर्यवंशी की मुलाकात की पुष्टि होती हो।
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इसके बाद फोटो को रिवर्स इमेज सर्च किया गया। सर्च के दौरान एक असली फोटो सामने आई, जिसमें वैभव सूर्यवंशी अपने कोच वसीम सर के साथ नजर आ रहे थे। यह फोटो तब की थी जब वैभव अंडर-19 क्रिकेट की ट्रेनिंग ले रहे थे।
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इसी असली फोटो को किसी ने एडिट करके, वसीम सर की जगह कर्नल सोफिया कुरैशी की फोटो लगा दी और झूठी खबर फैला दी।
गौरतलब है कि यह फर्जी फोटो पहले वैभव ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की थी, लेकिन उसमें सोफिया नहीं, बल्कि उनके कोच वसीम थे।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की जांबाज़ अधिकारी हैं, जो हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपने संचार कौशल और नेतृत्व के कारण चर्चा में आईं थीं। उन्होंने देशवासियों को इस अभियान की जानकारी देकर एक नई मिसाल कायम की। सोशल मीडिया पर उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है, लेकिन इसके साथ ही उनके नाम से फर्जी खबरें भी शेयर की जा रही हैं।
निष्कर्ष: खबर फर्जी है
इंडिया टीवी फैक्ट चेक की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि कर्नल सोफिया कुरैशी और वैभव सूर्यवंशी की मुलाकात की खबर पूरी तरह फर्जी और भ्रामक है। फोटो को जानबूझकर एडिट किया गया और इसे एक वास्तविक मुलाकात का रूप देने की कोशिश की गई।
इस मामले से एक बार फिर यह सीख मिलती है कि सोशल मीडिया पर किसी भी खबर पर भरोसा करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करना जरूरी है, ताकि झूठी अफवाहें और भ्रम न फैलें।