18 दिसंबर 2025 की देर रात बांग्लादेश में एक बार फिर हालात बिगड़ गए। ‘जुलाई विद्रोह’ के प्रमुख नेताओं में शामिल और इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। बताया गया कि वह बीते छह दिनों से जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे थे। उनकी मौत की खबर सामने आते ही देश के कई हिस्सों में तनाव फैल गया और देखते ही देखते हिंसा भड़क उठी। हालात की गंभीरता को देखते हुए 19 दिसंबर, शुक्रवार सुबह बांग्लादेश में स्थित भारत के हाई कमीशन ने भारतीय नागरिकों के लिए एक अहम एडवाइजरी जारी की।
भारतीयों से घरों में रहने की अपील
भारत के हाई कमीशन ने बांग्लादेश में रह रहे भारतीय नागरिकों से अपील की है कि वे मौजूदा हालात को देखते हुए अपने घरों में ही रहें। एडवाइजरी में कहा गया है कि लोग अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें और लोकल ट्रैवल से बचें। हाई कमीशन ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी आपात स्थिति में भारतीय नागरिक तुरंत ढाका स्थित हाई कमीशन या संबंधित असिस्टेंट हाई कमीशन से संपर्क करें। इसके साथ ही इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत सहायता उपलब्ध कराई जा सके। यह एडवाइजरी इस बात का संकेत है कि बांग्लादेश में हालात फिलहाल सामान्य नहीं हैं।
सनातन माइनॉरिटी पर हमलों के आरोप
इस बीच बांग्लादेश के पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी ने हिंसा को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि देश में जो कुछ भी हो रहा है, वह अचानक नहीं बल्कि सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। मोहिबुल के अनुसार, दो महीने बाद बांग्लादेश में चुनाव होने वाले हैं और इसी वजह से माहौल को जानबूझकर अस्थिर किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि पूरे देश में सनातन माइनॉरिटी को निशाना बनाया जा रहा है और चुनाव में देरी के पीछे भी यही अस्थिरता एक बड़ा कारण बन सकती है।
मोहिबुल हसन चौधरी ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में जिहादी मानसिकता रखने वाले तत्व सक्रिय हैं, जिनके कारण मीडिया हाउस तक पर हमले हो रहे हैं। उनके मुताबिक, यह पूरी घटना एक पूर्व नियोजित साजिश का नतीजा है और इसमें मौजूदा सत्ता व्यवस्था की भूमिका की भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
धर्म के अपमान के आरोप में युवक की निर्मम हत्या
हिंसा के बीच एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के भालुका इलाके में धर्म का अपमान करने के आरोप में एक हिंदू युवक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। आरोप है कि युवक को पहले नग्न किया गया, फिर उसे फांसी पर लटकाया गया और बाद में खंभे से बांधकर उसकी लाश को आग लगा दी गई।
पुलिस ने मृतक की पहचान दीपू चंद्र दास के रूप में की है। शुरुआती जानकारी के अनुसार, दीपू एक स्थानीय कपड़ा कारखाने में काम करता था और उसी इलाके में किराए पर रहता था। भालुका पुलिस स्टेशन के ड्यूटी ऑफिसर ने बताया कि गुरुवार रात करीब 9 बजे कुछ उत्तेजित लोगों ने उसे पैगंबर के अपमान के आरोप में पकड़ लिया और बेरहमी से पीटा। इसके बाद उसकी मौत हो गई और शव को आग के हवाले कर दिया गया।
हालात पर बढ़ती चिंता
अधिकारियों ने बताया कि दीपू चंद्र दास के शव को बरामद कर मैमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मुर्दाघर में भेज दिया गया है। इस घटना के बाद देशभर में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। एक ओर शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं ने बांग्लादेश की आंतरिक सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना दिया है।
मौजूदा हालात को देखते हुए न सिर्फ बांग्लादेशी नागरिकों में डर का माहौल है, बल्कि वहां रह रहे विदेशी नागरिकों, खासकर भारतीयों की सुरक्षा भी एक बड़ी चिंता बन गई है। आने वाले दिनों में सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।