बांग्लादेश की गलियों में आज लोकतंत्र की नहीं, बल्कि मजहबी कट्टरपंथ की आवाजें गूंज रही हैं। हिंदुओं के घरों को जलाया जाना, उनकी दुकानों को लूटना और उनके धार्मिक स्थलों को अपवित्र करना अब एक दैनिक दिनचर्या बन गया है। मोहम्मद यूनुस ने जब अंतरिम सरकार की शपथ ली थी, तब उन्होंने समावेशी विकास का वादा किया था, लेकिन हकीकत यह है कि उनकी नाक के नीचे हिंदुओं का 'नरसंहार' हो रहा है।
यूनुस का 'दोहरा चेहरा' और कट्टरपंथियों का संरक्षण
मोहम्मद यूनुस पर आरोप लग रहे हैं कि वे कट्टरपंथी संगठनों, विशेषकर जमात-ए-इस्लामी, को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संरक्षण दे रहे हैं। सत्ता में आने के बाद से उन्होंने उन जिहादियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया, जिन्होंने हिंदुओं को सरेआम निशाना बनाया। इस स्थिति ने हिंदुओं के मन में यह सवाल पैदा कर दिया है कि क्या मोहम्मद यूनुस केवल कट्टरपंथियों के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक मुखौटा मात्र हैं?
25 दिसंबर: तारिक रहमान की वापसी और बदलता समीकरण
इस खूनी खेल के बीच एक नया मोड़ 25 दिसंबर को आने वाला है। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल बाद लंदन से बांग्लादेश लौट रहे हैं। तारिक की वापसी यूनुस और उनके पाकिस्तानी आकाओं के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
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राजनीतिक वर्चस्व: जमात-ए-इस्लामी और यूनुस मिलकर जिस तरह से बांग्लादेश को कट्टरपंथी सांचे में ढालना चाहते हैं, BNP उसे अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए खतरा मानती है।
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पुलिस की बगावत: ढाका पुलिस के भीतर भी अब यूनुस की नीतियों के खिलाफ सुगबुगाहट तेज हो गई है। ऐसी खबरें हैं कि पुलिस अब उन जिहादियों पर नकेल कसने की तैयारी में है जो यूनुस की ताकत बने हुए थे।
इस्लामाबाद से ढाका: हिंदू संहार का 'पाकिस्तान प्लान'
बांग्लादेश में हो रही हिंसा केवल स्थानीय गुस्सा नहीं है, बल्कि इसके तार सीधे पाकिस्तान के सैन्य मुख्यालय और आईएसआई (ISI) से जुड़े बताए जा रहे हैं। पाकिस्तान चाहता है कि बांग्लादेश फिर से 1971 से पहले वाली कट्टरपंथी मानसिकता में लौट आए। इसके लिए 5 प्रमुख किरदार (Crime Partners) मिलकर काम कर रहे हैं, जिनका मकसद बांग्लादेश को एक 'इस्लामी अमीरात' में तब्दील करना है।
निष्कर्ष: विलेन कौन?
बांग्लादेश में जारी इस मानवीय संकट का सबसे बड़ा विलेन वह कट्टरपंथी तंत्र है जिसे सरकारी चुप्पी का सहारा मिला हुआ है। यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया, तो 1.6 करोड़ अल्पसंख्यक हिंदुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। तारिक रहमान की वापसी क्या इस हिंसा को रोक पाएगी या बांग्लादेश और बड़े गृहयुद्ध की ओर बढ़ेगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।