अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई पारी की शुरुआत के साथ ही वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एक बेहद आक्रामक और स्पष्ट रुख अख्तियार कर लिया है। गुरुवार को उत्तर-पश्चिमी नाइजीरिया में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के ठिकानों पर अमेरिकी सेना द्वारा किया गया घातक हमला इसी नई रणनीति का हिस्सा है। ट्रंप ने इस कार्रवाई के जरिए यह संदेश दिया है कि उनके नेतृत्व में अमेरिका अब कट्टरपंथी समूहों की हिंसा को मूकदर्शक बनकर नहीं देखेगा।
ट्रुथ सोशल पर ट्रंप का संदेश: "सटीक और घातक"
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर इस हमले की पुष्टि की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई विशेष रूप से उन आतंकवादियों के खिलाफ थी जो लंबे समय से निर्दोष ईसाइयों के नरसंहार में शामिल थे।
ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा:
"कमांडर इन चीफ के रूप में मेरे निर्देश पर, अमेरिका ने उत्तर-पश्चिमी नाइजीरिया में आईएसआईएस आतंकवादी गिरोह के खिलाफ एक शक्तिशाली और घातक हमला किया। ये वे लोग थे जो मुख्य रूप से निर्दोष ईसाइयों को निशाना बनाकर उनकी बेरहमी से हत्या कर रहे थे।"
उन्होंने आतंकवादियों को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि "आज रात वही हुआ जो मैंने पहले ही कहा था—ईसाइयों का नरसंहार नहीं रुका, तो परिणाम भयानक होंगे।"
ISIS-पश्चिम अफ्रीका (ISIS-WA): एक बड़ा खतरा
नाइजीरिया में जिस गुट पर हमला किया गया है, वह मुख्य रूप से ISIS-पश्चिम अफ्रीका है। अमेरिकी राष्ट्रीय आतंकवाद-विरोधी केंद्र के अनुसार, 2015 में आतंकी संगठन 'बोको हराम' के एक धड़े ने जब ISIS के प्रति निष्ठा की शपथ ली, तब इस शाखा का गठन हुआ था।
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लक्ष्य: यह समूह न केवल ईसाइयों को निशाना बनाता है, बल्कि क्षेत्रीय सैन्य ठिकानों, सरकारी बुनियादी ढांचे और नागरिक रक्षा बलों पर भी लगातार हमले करता रहा है।
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क्रूरता: नाइजीरिया का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र इस समूह की हिंसा के कारण पिछले कई वर्षों से अस्थिर बना हुआ है।
"शक्ति के बल पर शांति": सीरिया से नाइजीरिया तक
ट्रंप प्रशासन की यह कार्रवाई केवल नाइजीरिया तक सीमित नहीं है। इससे पहले 19 दिसंबर को अमेरिकी और जॉर्डन की सेनाओं ने सीरिया में भी ISIS के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया था।
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सीरिया हमला: रात भर चले उस ऑपरेशन में 70 से अधिक ठिकानों पर 100 से अधिक सटीक-निर्देशित गोला-बारूद से हमला किया गया।
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रणनीति: 'सेंटकॉम' (CENTCOM) ने इसे "शक्ति के बल पर शांति" (Peace Through Strength) का प्रदर्शन बताया है। यह हमला सीरियाई शहर पल्मायरा में एक अमेरिकी काफिले पर हुए हमले का जवाब था।
धार्मिक स्वतंत्रता और आतंकवाद विरोधी एजेंडा
डोनाल्ड ट्रंप का यह हमला उनकी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाता है—ईसाई अल्पसंख्यकों की सुरक्षा। उन्होंने अपने संबोधन में "क्रिसमस की शुभकामनाओं" के साथ जिस तरह से आतंकवादियों को चेतावनी दी, वह उनके समर्थक आधार के बीच उनकी छवि को और मजबूत करता है। ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका देश अब "कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद" को पनपने के लिए कोई जगह नहीं देगा।