अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव अब केवल सीमा तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसका सीधा असर पाकिस्तान के आंतरिक सुरक्षा ढांचे और सार्वजनिक परिवहन पर पड़ने लगा है। हाल ही में पाकिस्तान रेलवे द्वारा बलूचिस्तान में सभी ट्रेन सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित करने का फैसला इसी गहराते संकट की एक बानगी है।
सुरक्षा का संकट और रेलवे का फैसला
पाकिस्तान रेलवे ने सुरक्षा एजेंसियों की इनपुट के आधार पर बलूचिस्तान से जुड़ने वाली सभी यात्री ट्रेनों को बंद कर दिया है। यह कदम एक संभावित आत्मघाती हमले की खुफिया जानकारी मिलने के बाद उठाया गया। अधिकारियों के मुताबिक, आतंकियों की योजना रेलगाड़ियों को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान पहुंचाने की थी।
इस निलंबन के कारण क्वेटा, पेशावर और कराची जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले रेल मार्ग पूरी तरह ठप हो गए हैं। विशेष रूप से जाफर एक्सप्रेस और बोलन मेल जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनें रद्द होने से हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बलूचिस्तान: आतंकियों के निशाने पर पटरियां
बलूचिस्तान प्रांत लंबे समय से अशांति का केंद्र रहा है, लेकिन हाल के महीनों में रेल नेटवर्क पर हमलों की आवृत्ति तेजी से बढ़ी है।
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पहाड़ी बोलन घाटी: यह इलाका ट्रेनों के लिए सबसे खतरनाक जोन बन चुका है। ऊबड़-खाबड़ भौगोलिक स्थिति का फायदा उठाकर हमलावर अक्सर पटरियों को उड़ा देते हैं या ऊंचाई से फायरिंग करते हैं।
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बार-बार होते हमले: जाफर एक्सप्रेस पर पिछले दो महीनों में छह बार हमले की कोशिश की गई है।
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अपहरण की घटना: इसी साल मार्च में 440 यात्रियों से भरी ट्रेन को बंधक बनाने की कोशिश की गई थी, जिसमें सुरक्षाकर्मियों समेत 25 लोगों की जान चली गई थी।
अफगानिस्तान-पाकिस्तान संबंधों का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि बलूचिस्तान में बढ़ती हिंसा को अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान के बिगड़ते रिश्तों से अलग करके नहीं देखा जा सकता। पाकिस्तान अक्सर आरोप लगाता रहा है कि उसकी सीमा में होने वाले हमलों की साजिश अफगान धरती पर रची जाती है। सीमा पर गोलीबारी और 'डूरंड लाइन' को लेकर विवाद ने इस आग में घी डालने का काम किया है। जब-जब सीमा पर तनाव बढ़ता है, पाकिस्तान के भीतर सक्रिय उग्रवादी गुट अधिक हिंसक हो जाते हैं।
यात्रियों की सुरक्षा बनाम आवाजाही
रेलवे अधिकारियों का स्पष्ट कहना है कि "यात्रियों की जान जोखिम में डालकर ट्रेनें नहीं चलाई जा सकतीं।" हालांकि, यह निलंबन अस्थायी बताया जा रहा है, लेकिन बलूचिस्तान की जमीनी हकीकत को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि स्थिति कब सामान्य होगी। ट्रेनों के बंद होने से न केवल आम जनता की आवाजाही प्रभावित हुई है, बल्कि बलूचिस्तान जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्र में जरूरी सामानों की आपूर्ति पर भी असर पड़ने की आशंका है।
निष्कर्ष
पाकिस्तान आज दोहरे मोर्चे पर जूझ रहा है—एक तरफ अफगानिस्तान के साथ खराब होते कूटनीतिक रिश्ते और दूसरी तरफ अपने ही प्रांतों में बढ़ता आंतरिक विद्रोह। रेलवे नेटवर्क को बंद करना इस बात का प्रमाण है कि राज्य का इकबाल खतरे में है और सुरक्षा एजेंसियां फिलहाल रक्षात्मक मुद्रा में हैं। जब तक सीमा पर शांति और आंतरिक उग्रवाद पर लगाम नहीं लगती, तब तक आम पाकिस्तानी नागरिक के लिए सफर करना एक जानलेवा जोखिम बना रहेगा।