बांग्लादेश में छात्र राजनीति से जुड़े नेताओं पर हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। वर्ष 2024 के ऐतिहासिक छात्र आंदोलन से उभरे नेताओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। हाल ही में छात्र आंदोलन के प्रमुख चेहरे उस्मान हादी की मौत के बाद देश में तनाव का माहौल बना हुआ था, और अब सोमवार को एक और छात्र नेता पर जानलेवा हमला किए जाने से हालात और गंभीर हो गए हैं। इस ताजा घटना ने बांग्लादेश की आंतरिक सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
खुलना में छात्र नेता मोतालेब सिकदर पर फायरिंग
सोमवार को बांग्लादेश के खुलना शहर में नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के वरिष्ठ छात्र नेता मोतालेब सिकदर को गोली मार दी गई। हमलावरों ने सीधे उनके सिर को निशाना बनाया, जिससे यह साफ होता है कि हमला जान से मारने की नीयत से किया गया था। मोतालेब सिकदर एनसीपी के खुलना डिविजनल चीफ हैं और साथ ही एनसीपी श्रमिक शक्ति के केंद्रीय आयोजक की जिम्मेदारी भी संभालते हैं। दिनदहाड़े हुई इस फायरिंग की घटना ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी।
अस्पताल में भर्ती, हालत स्थिर
पुलिस के मुताबिक, यह हमला सुबह करीब 11:45 बजे हुआ। गोली लगने के बाद स्थानीय लोगों की मदद से मोतालेब सिकदर को तुरंत खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाया गया। सोनाडांगा मॉडल पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी अनिमेष मंडल ने बताया कि गोली कान के एक हिस्से को छूते हुए बाहर निकल गई, जिससे उनकी जान बच गई। डॉक्टरों के अनुसार, फिलहाल मोतालेब की हालत स्थिर है और वे खतरे से बाहर हैं। हालांकि, सिर के पास गोली लगने के कारण उन्हें कुछ समय तक निगरानी में रखा जाएगा।
छात्र आंदोलन से बनी पार्टी से जुड़े हैं नेता
मोतालेब सिकदर जिस नेशनल सिटिजन पार्टी से जुड़े हैं, वह बांग्लादेश की राजनीति में एक नया और अहम नाम बनकर उभरी है। एनसीपी की स्थापना इसी साल 28 फरवरी को हुई थी। यह पार्टी Students Against Discrimination और जातीय नागरिक समिति के नेतृत्व में बनी थी और इसे बांग्लादेश की पहली छात्र-नेतृत्व वाली राजनीतिक पार्टी माना जाता है। पार्टी का गठन पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद हुआ, जिसके बाद छात्र आंदोलन से जुड़े कई नेताओं ने औपचारिक राजनीति में कदम रखा।
एनसीपी का दावा है कि वह पारंपरिक राजनीतिक दलों से अलग, भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बनी है। इसी वजह से पार्टी के नेताओं को लगातार धमकियां और हमलों का सामना करना पड़ रहा है।
उस्मान हादी की मौत से फैली थी देशभर में हिंसा
इससे पहले 2024 के छात्र आंदोलन के एक और बड़े नेता उस्मान हादी की मौत ने पूरे बांग्लादेश को हिला दिया था। उस्मान हादी 12 दिसंबर को ढाका में हुए एक हमले में गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनकी हालत नाजुक होने के कारण उन्हें 15 दिसंबर को एयरलिफ्ट कर सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जिकल आईसीयू में भर्ती कराया गया था। तमाम कोशिशों के बावजूद 18 दिसंबर 2025 को उन्होंने दम तोड़ दिया।
हादी की मौत के बाद बांग्लादेश के कई हिस्सों में हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया।
आरोपी फरार, पुलिस पर उठे सवाल
बांग्लादेश पुलिस का कहना है कि उस्मान हादी की हत्या के मुख्य आरोपी के ठिकाने को लेकर अब तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी है। यह बयान ऐसे समय आया है, जब हादी की पार्टी इंकिलाब मंचा ने अंतरिम सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए हत्यारों की गिरफ्तारी में “ठोस प्रगति” की मांग की थी। इसके बावजूद किसी बड़े आरोपी की गिरफ्तारी न होने से सरकार और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
बढ़ता तनाव और अंतरराष्ट्रीय असर
उस्मान हादी की मौत के बाद चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायुक्त के आवास पर पथराव जैसी घटनाएं भी सामने आई थीं, जिससे हालात और संवेदनशील हो गए। शनिवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उस्मान हादी को ढाका विश्वविद्यालय मस्जिद के पास, राष्ट्रीय कवि काज़ी नजरुल इस्लाम की कब्र के समीप सुपुर्द-ए-खाक किया गया। लगातार हो रहे हमलों से यह साफ है कि बांग्लादेश में छात्र राजनीति एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुकी है। अगर समय रहते हालात पर काबू नहीं पाया गया, तो यह हिंसा देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सामाजिक शांति के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है।