भारत की सुरक्षा व्यवस्था में तीनों सेनाओं—भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना—की सामूहिक ताकत को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में अप्रैल 2025 के मध्य से अंत तक भारत ने एक महत्वपूर्ण त्रि-सेवा युद्ध अभ्यास किया, जिसका नाम था ‘हल्दी घाटी’ (Haldi Ghati)। यह अभ्यास 18 से 21 अप्रैल के बीच आयोजित किया गया था और इसे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान के नेतृत्व में सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।
इस युद्ध अभ्यास का उद्देश्य था तीनों सेनाओं के बीच निर्बाध संचार और एकीकृत संचालन को सुनिश्चित करना, ताकि सीमा पर किसी भी संकट की स्थिति में वे पूरी ताकत और एकजुट होकर प्रतिक्रिया दे सकें।
‘हल्दी घाटी’ अभ्यास का महत्व और उद्देश्य
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने इस अभ्यास के माध्यम से सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच एक ऐसा तंत्र विकसित करने का लक्ष्य रखा, जो उन्हें युद्ध की स्थिति में आपस में तुरंत, स्पष्ट और बिना किसी रुकावट के संवाद करने में सक्षम बनाए।
अभ्यास के दौरान तीनों सेनाओं ने आपसी संचार नेटवर्क, कमांड कंट्रोल सिस्टम और रडार तकनीक को जोड़ने का कार्य किया, ताकि युद्धक्षेत्र का समग्र और वास्तविक समय में चित्रण सभी सेनाओं के कमांड केंद्रों तक पहुंच सके।
यह अभ्यास इसलिए भी अहम था क्योंकि इससे तीनों सेनाओं को संयुक्त रणनीति और सामूहिक प्रतिक्रिया का मौका मिला, जो भारत के लिए नई सुरक्षा चुनौतियों के लिहाज से बेहद जरूरी था।
‘ट्रॉपेक्स’ का सहयोग
‘हल्दी घाटी’ अभ्यास के साथ ही भारतीय नौसेना अरब सागर में ‘ट्रॉपेक्स’ नामक एक प्रमुख थिएटर लेवल रेडीनेस एक्सरसाइज भी कर रही थी। इस अभ्यास में नौसेना के लगभग सभी प्रमुख युद्धपोत तैनात थे, जो समुद्र में किसी भी संभावित खतरे का मुकाबला करने के लिए तैयार थे।
इस अभ्यास ने नौसेना को समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने और सीमाओं पर सतर्कता बढ़ाने में मदद की, जिससे भारत के समुद्री क्षेत्र की रक्षा और भी मजबूत हुई।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद लागू हुई रणनीति
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई। इस हमले के ठीक बाद, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने ‘हल्दी घाटी’ अभ्यास के दौरान सीखे गए सबकों को तुरंत लागू कर दिया।
उनकी अगुवाई में सेना ने तुरंत तीनों सेनाओं के बीच संचार व्यवस्था को सक्रिय किया, जिससे सभी संबंधित कमांड पोस्ट और कमांडरों को तत्काल और स्पष्ट सूचना मिलती रही। इसके साथ ही सीमावर्ती इलाकों में एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किया गया ताकि संभावित खतरे का समय रहते मुकाबला किया जा सके।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में ‘हल्दी घाटी’ का योगदान
7 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को लक्षित किया। इस ऑपरेशन में ‘हल्दी घाटी’ अभ्यास के दौरान विकसित संयुक्त कमांड, कंट्रोल और रडार नेटवर्क ने निर्णायक भूमिका निभाई।
तीनों सेनाओं के नेटवर्क से प्राप्त वास्तविक समय की जानकारी ने सेना को पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों पर नजर रखने और त्वरित प्रतिक्रिया देने में मदद की। इससे ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने में मदद मिली और आतंकवादियों के खात्मे में बड़ी भूमिका निभाई।
ड्रोन हमलों से निपटने में मददगार
सेंटरल कमांड के रक्षा सूत्रों के मुताबिक, 7, 8 और 9 मई को पाकिस्तान की ओर से ड्रोन हमलों की कोशिशें हुईं। लेकिन ‘हल्दी घाटी’ अभ्यास के दौरान विकसित वायु रक्षा नेटवर्क और संचार प्रणाली ने भारतीय सेनाओं को ड्रोन हमलों का प्रभावी जवाब देने में सहायता की।
तीनों सेनाओं के रडार सिस्टम से प्राप्त साफ तस्वीरों ने दिल्ली स्थित सेना के मुख्यालय को वास्तविक समय की स्थिति की जानकारी उपलब्ध कराई, जिससे बेहतर निर्णय लेने और त्वरित कार्रवाई संभव हो सकी।
नौसेना की भूमिका और ‘ट्रॉपेक्स’ की तैनाती
‘ट्रॉपेक्स’ अभ्यास ने भारतीय नौसेना को अरब सागर के विभिन्न हिस्सों में तत्पर रहने और संचालन करने में सक्षम बनाया। इस दौरान नौसेना के अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत मकरान तट के समीप तैनात पाकिस्तानी नौसेना की हरकतों पर कड़ी नजर रखे हुए थे।
नौसेना की यह सतर्कता पाकिस्तानी नौसेना को अपनी गतिविधियों को सीमित करने पर मजबूर कर गई। इस रणनीतिक स्थिति ने भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत किया और दुश्मन को सशक्त जवाब देने की क्षमता बढ़ाई।
तीनों सेनाओं के एकीकरण के लिए जनरल अनिल चौहान की पहल
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान लंबे समय से तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल और एकजुटता को बढ़ावा दे रहे हैं। ‘हल्दी घाटी’ और ‘ट्रॉपेक्स’ जैसी पहलों ने उनकी इस रणनीति को सार्थक कर दिखाया है।
उनके नेतृत्व में, तीनों सेनाओं ने न केवल संचार और संचालन में सुधार किया है, बल्कि भारत की सामरिक सुरक्षा में भी एक नई ताकत का संचार किया है। भारत-पाकिस्तान के सीमा संघर्ष में यह रणनीति कारगर साबित हुई और ऑपरेशन सिंदूर जैसी सफलताएं मिलीं।
निष्कर्ष
भारत की रक्षा रणनीति में ‘हल्दी घाटी’ त्रि-सेवा युद्ध अभ्यास ने एक नई मिसाल कायम की है। तीनों सेनाओं के बीच निर्बाध संचार और समन्वय ने न केवल आतंकवाद और सीमाई तनाव से निपटने में मदद की, बल्कि भारतीय सेना को एक मजबूत, चतुर और प्रभावी सामूहिक बल के रूप में स्थापित किया।
इस अभ्यास ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आधुनिक युद्ध में जीत केवल ताकत और हथियारों की संख्या से नहीं, बल्कि बेहतर संचार, एकता और रणनीति से मिलती है। जनरल अनिल चौहान के नेतृत्व में यह अभ्यास भारत की सामरिक क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले गया है, जो आने वाले समय में देश की सुरक्षा के लिए एक मजबूत आधार साबित होगा।