कर्नाटक के हासन जिले में एक महीने के अंदर 20 से ज्यादा मौतें होने की खबर ने प्रशासन, मेडिकल एक्सपर्ट्स और आम जनता को चौंका दिया है। ये सभी मौतें अधिकतर युवाओं की हैं और अधिकतर हार्ट अटैक की वजह से हुई हैं। अचानक इतने युवाओं की मौत होने के पीछे कोरोना वैक्सीन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, लेकिन अब AIIMS और ICMR की रिपोर्ट सामने आ गई है जिसने ये साफ किया है कि कोरोना वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच कोई संबंध नहीं है।
हालांकि, मौतों की असली वजह अब तक साफ नहीं हो सकी है। ऐसे में अब वैज्ञानिकों और सरकार ने फैसला लिया है कि इन मौतों की तह तक जाने के लिए जीनोम स्टडी की जाएगी।
क्या है जीनोम स्टडी?
जीनोम स्टडी एक विशेष डीएनए परीक्षण है जिसके जरिए किसी व्यक्ति के जीनोमिक प्रोफाइल की गहराई से जांच की जाती है। यह अध्ययन यह जानने में मदद करता है कि किसी व्यक्ति के जीन (genes) शरीर के कार्यों को कैसे प्रभावित करते हैं और उनमें किसी भी तरह का जेनेटिक डिसऑर्डर या बीमारी की प्रवृत्ति तो नहीं है।
इस स्टडी से यह समझा जा सकता है कि किसी व्यक्ति की मौत का कारण उसके जन्मजात जीनों में मौजूद कोई गड़बड़ी तो नहीं थी। इससे यह भी पता चल सकेगा कि क्या इन अचानक हो रही मौतों के पीछे कोई सामान्य जेनेटिक पैटर्न है?
भारत में यह स्टडी प्रमुख रूप से CSIR-IGIB (इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी) और NIBMG (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स) द्वारा की जाएगी।
AIIMS और ICMR की रिसर्च क्या कहती है?
दिल्ली के AIIMS में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. राजीव नारंग ने बताया कि कोरोना वैक्सीन को लेकर की गई गहन रिसर्च में यह स्पष्ट हुआ है कि:
"कोविड वैक्सीन हार्ट अटैक या अचानक मौत की सीधी वजह नहीं हो सकती।"
ICMR और AIIMS ने 2023 से लगभग 300 शवों का विश्लेषण किया। इस रिसर्च में ये पाया गया कि कई मामलों में कोरोनरी आर्टरी डिजीज, कार्डियोमायोपैथी, ब्लड क्लॉट, और हार्ट इंफेक्शन मौत की वजह बने। वहीं, कुछ मामलों में कोविड संक्रमण से फेफड़े बुरी तरह डैमेज हो चुके थे। यानी वैक्सीन से नहीं, बल्कि वायरस से हुए नुकसान के कारण मौतें हुई थीं।
फिर अचानक मौतों का कारण क्या?
चूंकि कोविड वैक्सीन को मौतों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, अब सवाल यह है कि आखिर युवाओं में इतनी बड़ी संख्या में हार्ट अटैक क्यों हो रहे हैं? खासकर तब, जब वे न तो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे और न ही कोई हाई रिस्क ग्रुप में थे।
यह जानने के लिए अब जीनोम स्टडी ही एकमात्र रास्ता है, क्योंकि इससे यह जानकारी मिल सकती है कि कहीं इन युवाओं में किसी जेनेटिक म्यूटेशन या इनबिल्ट हार्ट वीकनेस के लक्षण तो नहीं थे।
क्या फायदा होगा इस स्टडी से?
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बीमारी के जड़ तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
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भविष्य में अचानक मौतों को रोकने की योजना बन सकेगी।
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युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक के जोखिम की सही पहचान हो सकेगी।
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परिवारों को जेनेटिक स्क्रीनिंग की सलाह दी जा सकेगी।
निष्कर्ष
हासन जिले में युवाओं की रहस्यमयी मौतें पूरे देश के लिए एक सतर्क संकेत हैं। ये सिर्फ एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य चुनौती बनती जा रही है। जहां एक ओर सोशल मीडिया और अफवाहों ने कोरोना वैक्सीन को दोषी ठहराया, वहीं वैज्ञानिकों ने तथ्यों के आधार पर इसकी सफाई दे दी है।
अब बारी है जीनोम स्टडी की — एक ऐसा आधुनिक वैज्ञानिक उपकरण जो हमें युवाओं की मौतों के असली कारण तक पहुंचा सकता है और भविष्य में हजारों जिंदगियां बचा सकता है। सरकार और वैज्ञानिक संस्थानों का यह कदम सराहनीय है, और उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे हमें ज