लखनऊ न्यूज डेस्क: लखनऊ स्थित गायत्री शक्तिपीठ में "स्वास्थ्य, संसाधन और क्षमता संवर्धन" विषय पर चौथी कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें कुल 10 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला की शुरुआत त्रिवेणी संगम ध्यान साधना से की गई, जिससे प्रतिभागियों को मानसिक शांति और एकाग्रता का अनुभव मिला।
इस सत्र में विकास रंजन ने गायत्री मंत्र के वैज्ञानिक पक्षों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार मंत्रों का जाप शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। उन्होंने कुछ वैज्ञानिक प्रयोगों का उल्लेख कर यह समझाया कि नियमित जाप से मस्तिष्क की तरंगों में संतुलन आता है।
रजत कुमार ने व्यक्तित्व विकास पर बोलते हुए शिक्षा के साथ 'विद्या' के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने आंतरिक दिव्यता को निखारने और बाहरी मलिनता को दूर करने के व्यावहारिक तरीके बताए। चिंतन, व्यवहार और चरित्र में संतुलन लाकर व्यक्तित्व में कैसे सुधार लाया जा सकता है, इस पर उन्होंने विस्तृत चर्चा की।
प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला को बेहद ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक बताया। कार्यक्रम के अंत में विकास रंजन, रंजन कुमार और रजत कुमार ने सभी का आभार जताया। कार्यशाला की सफलता में पी.डी. सारस्वत की टीम, अवस्थी, वी.एन. शुक्ला और ट्रस्टियों का अहम योगदान रहा।