खाना सिर्फ इंसानो के सेहत तक सिम्मित नहीं है ,यह इतिहास और परंपरा का प्रतिक है | भारत में इतने सारे खाद्यपदार्थ है जिनके नाम भी नहीं पता परन्तु एक ऐसा खाद्यपदार्थ है जो पुरे भारत को जोड़ता है और जिसे सब जानते है | “खिचड़ी” मूल रूप से चावल दाल और मसालों का एक सुगंधित पदार्थ ,यह नमकीन व्यंजन विभिन्न अवतारों में पूरे भारत में रसोई में पाया जा सकता है।
इतिहासकार मोहसिना मुकादम के अनुसार खिचड़ी ;भारत के सबसे प्राचीन खाद्य पदार्थों में से एक है इसका नाम संस्कृत शब्द “खिचका” से आया है | प्राचीन भारत के गैस्ट्रोनॉमिक साहित्य में भी खिचड़ी के कई उल्लेख हैं | १४ वीं शताब्दी में भारत आने वाले प्रसिद्ध मोरक्को के यात्री इब्न बतूता ने लिखा है “मुंज को चावल के साथ उबाला जाता है फिर भिगोकर खाया जाता है। इसी को वे “किशरी” कहते हैं और इससे वह हर दिन नाश्ते में कहते है | यह भारत के अधिकांश घरों में भोजन है, लेकिन खिचड़ी कई मायनों में दिलचस्प है। वेस्ट बंगाल में इसे खिच्चुरी कहते है, बिसिबेले भात कर्नाटक और वेन पोंगल तमिल नायडू में कहा जाता है | खिचड़ी के चर्चे हमारे वेदो में ,चाणक्य की किताबो में ,बड़े से बड़े भारत आए मुसाफिरों के लेख में, मुग़लो के शाही दरबार में और अन्य कहानियो में है | एक ऐसीही प्रसिद्ध कहानी आप सभी तो याद ही होगी “बीरबल की खिचड़ी” जब बीरबल ने एक गरीब धोबी को खिचड़ी के उदहारण से बादशाह अकबर द्वारा इन्साफ दिलाया था, इस कहानी से हम अंदाज़ा लगा सकते ही खिचड़ी का महत्व कितना ज्यादा था उस समय में | १९ वीं शताब्दी में अंग्रेज भारत से खिचड़ी अपने देश ले गए जहाँ यह “केडगेरे” बन गया | यह इंग्लैंड में एक परिष्कृत नाश्ता पकवान बन गया। यह अभी भी इंग्लैंड में लोकप्रिय है।