पृथ्वी जल रही है। और हम इसके पीछे कारण हैं। पृथ्वी पर वैश्विक वायुमंडलीय तापमान में अभूतपूर्व वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। पिछले दशक से पृथ्वी पर तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। पृथ्वी की सतह से परावर्तित होने वाली ऊष्मा किरणें कार्बन डाइऑक्साइड में मौजूद होने के कारण वायुमंडल में फंस जाती हैं। इसे 'ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट के रूप में जाना जाता है। ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी पर औसत वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार मुख्य गैसों को ग्रीनहाउस गैसों के रूप में जाना जाता है। अतिरिक्त फॉसिल फ्यूल को जलाना और जहरीले धुएं को वायुमंडल में छोड़ना ग्लोबल वार्मिंग के पीछे प्रमुख कारण है। ग्लोबल वार्मिंग से जीवों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
दुनिया के कई हिस्सों में तूफान, बाढ़ और हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएं देखी जा रही हैं। ये सभी घटनाएं ग्लोबल वार्मिंग का प्रत्यक्ष परिणाम हैं। मनुष्य पर्यावरण का बुरी तरह से शोषण करता है और फिर पृथ्वी का प्रकोप सहन नहीं कर पाएंगे इतना विनाशकरि होता है | ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी की सतह से मानव आबादी का सफाया करने की क्षमता रखता है। इंसानो द्वारा बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की गतिविधियों के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है
पौधे अपने भोजन को तैयार करने और उप-उत्पाद के रूप में ऑक्सीजन छोड़ने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं। इसलिए, यदि हमारे पास पर्याप्त पौधे हैं, तो वे वायुमंडल से अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करेंगे और ग्लोबल वार्मिंग की दर को कुछ हद तक कम कर देंगे। अधिक पेड़ लगाने से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर कम हो सकता है और परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग में कमी आएगी। वनीकरण हमारा प्राथमिक लक्ष्य होना चाहिए। अगर हम अपने जीवनकाल में पेड़ लगाते हैं, यानि हम उतना पृथ्वी को बेहतर बनाते है |