जैसा कि हम बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि के महत्वपूर्ण अवसर को मनाते हैं, हम इस महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी की अदम्य भावना को श्रद्धांजलि देते हैं। उनका अटूट समर्पण और उत्कट देशभक्ति हमारे दिलों में प्रेरणा की भावना जगाती रहती है।आइए इस दिन हम उनके गहन शब्दों और आदर्शों पर विचार करें जिन्होंने इतिहास के पन्नों पर अमिट छाप छोड़ी है यहां बाल गंगाधर तिलक के 10 सशक्त उद्धरण दिए गए हैं जो निस्संदेह आपके भीतर साहस और दृढ़ता की लौ जला देंगे।
"स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।" - बाल गंगाधर तिल
"स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा।" - बाल गंगाधर तिलक
"यह कभी न भूलें कि आप नायकों और नायिकाओं की भूमि से हैं।" - बाल गंगाधर तिलक
"धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग-अलग नहीं हैं। संन्यास लेना जीवन को त्यागना नहीं है। असली भावना केवल अपने लिए काम करने के बजाय देश को अपना परिवार बनाना है। इससे आगे का कदम मानवता और मानवता की सेवा करना है।" अगला कदम भगवान की सेवा करना है।" स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना प्रत्येक भारतीय का अपरिहार्य अधिकार है, चाहे वह गरीब हो या अमीर, साक्षर हो या अशिक्षित।" - बाल गंगाधर तिलक
"स्वदेशी हमारे अंदर की वह भावना है जिसके लिए हमें दूसरों से पहले अपने निकटतम पड़ोसियों की सेवा करनी होती है, यानी बाकी दुनिया से पहले अपने देश और अपने जिले के लोगों की सेवा करनी होती है।"एक देश, एक भाषा, एक झंडा!" आत्मा के आनंद के वातावरण में बुद्धि बढ़ती और फलती है।""सही सोचना, सही कार्य करना प्रत्येक नागरिक का प्राथमिक कर्तव्य है।"बाल गंगाधर तिलक के विचार और सिद्धांत पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान देश के इतिहास में महत्वपूर्ण रहेगा। आइए हम उनकी पुण्य तिथि पर उनकी विरासत को याद करें और उसका सम्मान करें।