भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर पाकिस्तान की कथित दोहरी नीति और आतंकवाद को बेनकाब करते हुए जोरदार जवाब दिया है। भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत हरीश पुरी ने यूएनएससी में नागरिक सुरक्षा पर चल रही खुली बहस के दौरान पाकिस्तान के झूठ और पाखंड का पर्दाफाश किया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान ऐसा देश है जो नागरिकों और आतंकियों में कोई भेदभाव नहीं करता और इसलिए ऐसे देश का नागरिक सुरक्षा पर चर्चा में हिस्सा लेना पूरी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रति अपमान है।
सीमा पर पाकिस्तानी आतंकवाद की काली तस्वीर
हरीश पुरी ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान की सेना ने जानबूझकर भारत के सीमावर्ती गांवों को निशाना बनाया, जिसमें 20 से अधिक निर्दोष नागरिकों की मौत हुई और 80 से ज्यादा लोग घायल हुए। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी फौज ने न सिर्फ लोगों को, बल्कि मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों और अस्पतालों जैसे नागरिक स्थलों को भी हमले का शिकार बनाया। ऐसे हमले न सिर्फ मानवता के खिलाफ हैं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय नियमों का भी उल्लंघन हैं।
इन कायराना हमलों के बाद पाकिस्तान का यूएन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच से नागरिक सुरक्षा की बातें करना, उसकी काला चेहरा दिखाता है। यह न सिर्फ पाखंड है बल्कि पूरी तरह से एक राजनीतिक चाल है।
दशकों पुरानी आतंकवाद की निरंतरता
हरीश पुरी ने बताया कि भारत दशकों से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के दंश झेल रहा है। मुंबई आतंकी हमले से लेकर पहलगाम हमले तक के उदाहरण उन्होंने गिनाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस आतंकवाद का पहला निशाना हमेशा निर्दोष नागरिक होते हैं क्योंकि इसका मकसद भारत की समृद्धि, विकास और मनोबल को कमजोर करना है।
इस प्रकार की हिंसा का निरंतर सिलसिला न केवल भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भी गंभीर खतरा है।
आतंकियों के लिए पाकिस्तान का सम्मान
भारत ने पाकिस्तान की मंशा को भी उजागर किया कि वे आतंकियों को सम्मान देते हैं। हरीश पुरी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारे गए आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी को भी ताजा उदाहरण बताया। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान आतंकवादियों और नागरिकों के बीच कोई फर्क नहीं करता और आतंक को बढ़ावा देता है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति अपमान
भारत ने जोर देकर कहा कि ऐसे देश का यूएन जैसे मंच पर नागरिक सुरक्षा पर चर्चा करना न केवल न्यायसंगत नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अपमानजनक है। ऐसे वक्ता या देश जो खुद आतंकवाद को प्रायोजित करता हो, वह विश्व स्तर पर शांति और सुरक्षा की बात कैसे कर सकता है?
भारत की यह कड़ी टिप्पणी वैश्विक समुदाय को पाकिस्तान की सच्चाई समझाने की एक महत्वपूर्ण कोशिश है, ताकि आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त रूप से कदम उठाए जा सकें।
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र में भारत का यह जवाब स्पष्ट संदेश देता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई भेदभाव या छूट नहीं होनी चाहिए। पाकिस्तान की निरंतर आतंकवादी गतिविधियां क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं और वे अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं। भारत ने विश्व समुदाय से अपील की है कि वे ऐसे देशों की दोहरी नीति और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले रवैये को नकारें और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाएं।
इस घटना से एक बार फिर यह स्पष्ट हुआ कि भारत विश्व मंच पर न केवल अपने हितों का बचाव करता है बल्कि आतंकवाद और झूठ की पोल भी खोलता है, ताकि न्याय और शांति कायम रहे।