लखनऊ न्यूज डेस्क: राजधानी लखनऊ इन दिनों तेजी से फैलते अपने दायरे और बढ़ती जनसंख्या की दोहरी चुनौती से जूझ रही है। शहरी विस्तार जहां विकास की नई संभावनाएं लेकर आया है, वहीं इससे बुनियादी सुविधाओं पर बोझ भी बढ़ा है। इन्हीं जरूरतों को देखते हुए नगर निगम ने 16वें वित्त आयोग से लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की विशेष आर्थिक मदद की मांग की है, जिससे शहर की नई जरूरतों को पूरा किया जा सके।
नगर निगम की ओर से एक बैठक में पार्षद अरुण तिवारी ने बताया कि लखनऊ की जनसंख्या 2011 में जहां 28 लाख के आसपास थी, वहीं अब यह आंकड़ा 48 लाख से ज्यादा पहुंच चुका है। इसी तरह, नगर निगम का क्षेत्रफल भी 310 वर्ग किमी से बढ़कर 568 वर्ग किमी हो गया है। इस बढ़ते विस्तार को संभालने के लिए नगर निगम ने करीब 7207 करोड़ की डीपीआर तैयार की है, जबकि बुनियादी जरूरतों के लिए अलग से 3500 करोड़ रुपये की मांग की गई है।
बैठक में बताया गया कि लखनऊ के जो नए इलाके नगर निगम सीमा में जोड़े गए हैं, वहां आधारभूत सुविधाओं की भारी कमी है। पानी, सीवरेज, सड़कें, ट्रैफिक व्यवस्था, पार्क और स्ट्रीट लाइट जैसी सुविधाएं या तो नदारद हैं या बेहद कमजोर हालत में हैं। खासकर नई कॉलोनियों में रहने वाले लाखों लोग इन जरूरी सेवाओं से वंचित हैं, जिससे शहरी असमानता बढ़ रही है।
नगर निगम ने प्रस्ताव में साफ किया है कि भविष्य की जरूरतों और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से कई आधुनिक परियोजनाएं जरूरी हैं। इनमें वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट, ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर, मल्टी-लेयर प्लास्टिक रिसाइकलिंग यूनिट, सोलर पैनल से युक्त भवन, सार्वजनिक ई-चार्जिंग स्टेशन और ई-व्हीकल्स की सुविधा शामिल है। नगर निगम का मानना है कि यदि यह फंडिंग समय पर मिलती है, तो लखनऊ को एक स्मार्ट और टिकाऊ शहर में तब्दील किया जा सकता है।