लखनऊ न्यूज डेस्क: लखनऊ की एससी-एसटी कोर्ट ने झूठे मुकदमे दर्ज कराने वाले एक वकील को कड़ी सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने लाखन सिंह नाम के वकील को 10 साल 6 महीने की कैद और 2 लाख 51 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। वकील ने 20 से अधिक झूठे केस दर्ज कराए थे, जिनमें से अधिकतर का मकसद निजी दुश्मनी निकालना और कोर्ट का समय बर्बाद करना था।
फैसले में कोर्ट की सख्त टिप्पणी:
जज ने अपने फैसले में लिखा, "कभी-कभी बहुत चतुर शिकारी भी शिकार करते समय ऐसी चाल चल देता है, जिसमें आगे चलकर अपने द्वारा बुने हुए जाल में वह खुद फंस जाता है…" वकील ने अपने जिम्मेदार पेशे को कलंकित किया और न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता को गहरी चोट पहुंचाई है।
कैसे हुआ खुलासा:
विकास नगर निवासी लाखन सिंह ने 15 फरवरी 2014 को एक झूठी एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया कि सुनील दुबे ने साथियों के साथ मिलकर उनपर हमला किया और जातिसूचक गालियां दीं। लेकिन जब तत्कालीन सीओ महानगर धीरेंद्र राय ने जांच की, तो पता चला कि जिस दिन लाखन सिंह ने घटना का दावा किया, उस दिन सुनील दुबे मौके पर था ही नहीं।
लंबे समय से चल रहा था फर्जीवाड़ा:
लाखन सिंह ने साल 1990 से 2009 के बीच भी सुनील दुबे और उसके परिवार के खिलाफ हत्या के प्रयास, धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने जैसी गंभीर धाराओं में 7 और एफआईआर दर्ज करवाई थी, लेकिन पुलिस जांच में सभी मामले झूठे निकले। कोर्ट ने बार काउंसिल और पुलिस कमिश्नर को भी इस फैसले की कॉपी भेजी है, ताकि झूठे केस से मिले सरकारी मुआवजे की वसूली की जा सके।