मुंबई, 3 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) भारतीय शादियों में वरमाला का विशेष महत्व होता है। सदियों से, दुल्हन और दूल्हा एक-दूसरे को ताजे फूलों की माला पहनाकर एक-दूसरे को स्वीकार करते आए हैं। लेकिन, अब इस पारंपरिक रीति में एक नया और टिकाऊ बदलाव आ रहा है। पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण अब कई जोड़े फूलों की वरमाला के बजाय क्रोशे से बनी वरमाला को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिसे वे शादी के बाद एक यादगार वस्तु के रूप में सहेजकर रख सकते हैं।
यह नया ट्रेंड उन जोड़ों के बीच लोकप्रिय हो रहा है जो अपनी शादी को और भी व्यक्तिगत और यादगार बनाना चाहते हैं। क्रोशे वरमाला के कई फायदे हैं:
- स्थायित्व: ताजे फूलों के विपरीत, क्रोशे की वरमालाएं कभी मुरझाती नहीं हैं। ये लंबे समय तक बनी रहती हैं और इन्हें शादी के बाद एक कलाकृति या स्मृति चिन्ह के रूप में रखा जा सकता है।
- अनुकूलन: इन मालाओं को जोड़ों की पसंद के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है। वे अपनी पसंद के रंग, लंबाई और सजावट (जैसे मोती) का चयन कर सकते हैं, जिससे यह वरमाला पूरी तरह से उनके व्यक्तित्व को दर्शाती है।
- पर्यावरण-अनुकूल: यह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो अपनी शादी को पर्यावरण-अनुकूल बनाना चाहते हैं। ताजे फूलों के उपयोग को कम करके, वे अपशिष्ट को कम करने में मदद करते हैं।
इस कलाकृति को बनाने की प्रक्रिया भी बहुत दिलचस्प है। कलाकार पहले एक-एक फूल की पंखुड़ी और पत्तियों को हाथ से बनाते हैं, और फिर उन्हें एक सुंदर माला का आकार देते हैं। यह एक श्रमसाध्य प्रक्रिया है जिसमें दो से तीन दिन लग सकते हैं।
हालांकि, इनकी कीमत पारंपरिक फूलों की मालाओं से अधिक हो सकती है, कुछ कारीगर इन्हें 7,000 रुपये से 11,000 रुपये प्रति जोड़े के बीच बेचते हैं। लेकिन, जो जोड़े अपनी शादी को स्थायी और यादगार बनाना चाहते हैं, उनके लिए यह कीमत एक निवेश के समान है।
यह प्रवृत्ति न केवल कला और फैशन का एक नया संगम है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश भी देती है कि भारतीय शादियां अब अधिक जागरूक और पर्यावरण-अनुकूल हो रही हैं।