मुंबई, 11 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली और एनसीआर के नगर निकायों को आदेश दिया कि आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़कर उनकी नसबंदी की जाए और उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखा जाए। अदालत ने चेतावनी दी कि इस काम में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और यदि कोई व्यक्ति या संगठन इस प्रक्रिया में बाधा डालता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने निर्देश दिया कि दिल्ली, एमसीडी और एनएमडीसी सभी इलाकों, खासकर संवेदनशील क्षेत्रों से जल्द से जल्द कुत्तों को उठाएं और जरूरत पड़ने पर इसके लिए अलग बल का गठन करें।
यह मामला 28 जुलाई को तब सामने आया था जब अदालत ने खुद नोटिस लेते हुए संसद में पेश एक रिपोर्ट पर संज्ञान लिया, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में रेबीज के मामलों और बच्चों व बुजुर्गों की मौतों पर गंभीर चिंता जताई गई थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि 2024 में डॉग बाइट्स के 37 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए, जिनमें 54 लोगों की मौत रेबीज से हुई। केवल दिल्ली में ही डॉग बाइट्स के मामलों में 143 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 5 लाख 19 हजार से ज्यादा पीड़ित 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे और हर सात पीड़ितों में एक बच्चा शामिल था।
रिपोर्ट में एक छह वर्षीय बच्ची छवि शर्मा का मामला भी शामिल था, जिसे 30 जून को एक कुत्ते ने काट लिया था और इलाज के बावजूद 26 जुलाई को उसकी मौत हो गई। अदालत ने कहा कि प्रतिदिन दिल्ली और आसपास के इलाकों में कुत्तों के हमले के सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं और सबसे ज्यादा खतरा बच्चों और बुजुर्गों को है। इस रिपोर्ट को जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर CJI के समक्ष उचित आदेशों के लिए रखने का निर्देश दिया गया है। इससे पहले 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए तय स्थान की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी। अदालत ने कहा था कि जो लोग कुत्तों को खाना देना चाहते हैं, वे इसे घर के भीतर करें, क्योंकि दोपहिया वाहन चालकों और सुबह टहलने वालों पर हमले का खतरा बना रहता है।