मुंबई, 12 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानवीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पीछे ले जाने वाला कदम बताया है। उन्होंने कहा कि ये बेजुबान जानवर कोई समस्या नहीं हैं जिन्हें हटाया जाए, बल्कि शेल्टर, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल जैसे मानवीय तरीके अपनाए जाने चाहिए, जिससे बिना क्रूरता के उनकी सुरक्षा हो सके। राहुल ने इस फैसले को क्रूर और अदूरदर्शी बताते हुए कहा कि जन सुरक्षा और पशु कल्याण साथ-साथ चल सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर के नगर निकायों को आदेश दिया था कि सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्ते के भीतर पकड़कर नसबंदी करें और स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इन कुत्तों को सड़कों पर वापस नहीं छोड़ा जाना चाहिए। इस दौरान कोर्ट ने बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और अवमानना की चेतावनी भी दी। न्यायाधीशों ने सवाल किया कि क्या पशु प्रेमी रेबीज से मर चुके बच्चों को वापस ला सकते हैं, और कहा कि किसी भी हालत में बच्चों को रेबीज नहीं होना चाहिए। इससे पहले 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के हमलों से रेबीज के कारण हो रही मौतों को गंभीर और डराने वाला करार दिया था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2024 में 37 लाख से अधिक डॉग बाइट के मामले सामने आए, जिनमें 54 लोगों की मौत रेबीज से हुई। हाल ही में दिल्ली में छह वर्षीय छवि शर्मा की डॉग बाइट के बाद इलाज के बावजूद मौत ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया।
प्रियंका गांधी ने भी इस फैसले को अमानवीय करार दिया और कहा कि कुत्ते सबसे सुंदर और कोमल जीव हैं, जिनके साथ इस तरह का व्यवहार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इतने कम समय में लाखों कुत्तों को शेल्टर होम भेजना अव्यवहारिक है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर शेल्टर होम मौजूद ही नहीं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि एक मानवीय और संतुलित तरीका अपनाकर इन मासूम जानवरों की सुरक्षा और देखभाल की जा सकती है। मेनका गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली में करीब तीन लाख आवारा कुत्ते हैं। सभी को पकड़कर रखने के लिए 1,000 से 2,000 शेल्टर होम बनाने होंगे, क्योंकि एक जगह अधिक संख्या में कुत्तों को रखना संभव नहीं है।