मुंबई, 20 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान में शहरी निकायों के चुनावों को लेकर सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के बीच मतभेद सामने आ गए हैं। राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने हाल ही में हाईकोर्ट के आदेशों के आधार पर दो महीने के भीतर निकाय और पंचायत चुनाव कराने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि जिन निकायों और पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल पूरा हो चुका है या अगले दो महीने में पूरा हो जाएगा, वहां चुनाव कराना आवश्यक है। वहीं, उन्होंने ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ की अवधारणा को इस समय व्यावहारिक नहीं माना। इसके उलट, नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा है कि दिसंबर में सभी 309 शहरी निकायों के चुनाव एक साथ करवाए जाएंगे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि निर्वाचन आयोग जल्द कार्यक्रम घोषित करता है तो सरकार उस पर विचार करेगी और जो करना होगा, करेगी। खर्रा ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों की प्रमाणित प्रति मंगवाई गई है और उसी के आधार पर आगे कदम उठाए जाएंगे।
खर्रा का कहना है कि परिसीमन का काम पूरा हो चुका है और इसकी अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी। उनका दावा है कि दिसंबर 2025 में ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ के तहत शहरी निकायों का चुनाव कराने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों को एक साथ कराना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि उनका कार्यकाल अलग-अलग वर्षों में समाप्त हो रहा है। वहीं, इस मुद्दे पर खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने भी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था को बिगाड़ा था, लेकिन मौजूदा सरकार इसे सुधारने और ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। गोदारा ने बताया कि पंचायतों के पुनर्गठन के लिए गठित सब-कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है और इसके आधार पर चुनाव समय पर कराए जाएंगे। इधर, राज्य निर्वाचन आयोग गुरुवार को निकाय और पंचायत चुनावों को लेकर गाइडलाइन जारी कर सकता है। इसमें चुनावी तैयारियों और मतदाता सूची को अपडेट करने से जुड़े निर्देश शामिल होंगे।