महाराष्ट्र में इन दिनों मटन की दुकानों को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। कर्नाटक में हलाल मांस को लेकर छिड़े विवाद के बाद अब महाराष्ट्र सरकार ने 'मल्हार प्रमाणन' योजना शुरू करने का ऐलान किया है। इसके तहत राज्य में मटन बेचने वाली दुकानों का पंजीकरण किया जाएगा, लेकिन खास बात यह है कि यह प्रमाण पत्र केवल हिंदू दुकानदारों को ही मिलेगा। इस फैसले ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
क्या है 'मल्हार प्रमाणन' योजना?
महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने घोषणा की कि राज्य में मटन बेचने वाले दुकानदारों को 'मल्हार प्रमाणन' दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह प्रमाण पत्र उन्हीं दुकानों को मिलेगा जिन्हें हिंदू समुदाय के लोग संचालित करेंगे। नितेश राणे का कहना है कि इस कदम से हिंदू युवाओं को रोजगार मिलेगा और वे आर्थिक रूप से सशक्त बनेंगे।
राणे ने कहा,
"यह प्रमाणन इस बात का भरोसा देगा कि मटन शुद्ध है और इसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं है। हमने एक पोर्टल भी लॉन्च किया है, जहां दुकान मालिक मल्हार प्रमाणन के लिए आवेदन कर सकते हैं।"
हलाल मांस को लेकर जारी बहस
इस विवाद की जड़ें हलाल मांस को लेकर जारी बहस में छिपी हैं। हाल के दिनों में भाजपा शासित राज्यों में दक्षिणपंथी संगठनों ने हलाल प्रक्रिया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इन संगठनों का आरोप है कि हलाल मांस आर्थिक जिहाद का हिस्सा है और इससे धार्मिक भेदभाव होता है। वे यह भी दावा करते हैं कि हलाल प्रक्रिया केवल मुस्लिम कसाइयों को फायदा पहुंचाती है और दूसरे समुदायों को इससे बाहर रखा जाता है।
राणे ने कहा,
"हलाल मांस को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। यह मल्हार प्रमाणन दुकानदारों और ग्राहकों दोनों के लिए एक विकल्प है।"
विपक्ष का विरोध और समर्थन
महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया है। विपक्षी पार्टियां इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास बता रही हैं। कांग्रेस और एनसीपी नेताओं का कहना है कि सरकार युवाओं के रोजगार को बढ़ावा देने के नाम पर सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा दे रही है। दूसरी ओर, दक्षिणपंथी समूहों ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे हिंदू समाज के लिए आर्थिक स्वतंत्रता का माध्यम बताया है।
क्या है आगे की योजना?
मंत्री नितेश राणे के अनुसार, आने वाले महीनों में 'मल्हार प्रमाणन' के तहत हजारों दुकानें पंजीकृत होंगी। सरकार का दावा है कि इससे न केवल स्वच्छता और गुणवत्ता बनी रहेगी, बल्कि नौकरी के नए अवसर भी पैदा होंगे। हलाल प्रक्रिया के खिलाफ उठ रही आवाजों के बीच, यह योजना महाराष्ट्र में भविष्य की खाद्य नीति का हिस्सा बन सकती है।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र में मटन दुकानों पर 'मल्हार प्रमाणन' योजना को लेकर बहस और चर्चा तेज हो गई है। यह योजना जहां एक तरफ हिंदू युवाओं के लिए आर्थिक अवसर लेकर आ रही है, वहीं दूसरी तरफ धार्मिक और सामाजिक विवादों को भी जन्म दे रही है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह योजना राज्य में कितनी सफल होती है और इसके राजनीतिक असर क्या होते हैं।