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तहव्वुर राणा कहीं सुसाइड न कर ले? NIA को क्यों सता रहा डर, सेल में सख्त किया पहरा

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Posted On:Saturday, April 12, 2025

26/11 मुंबई हमले के प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक, तहव्वुर राणा (64 वर्ष), को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) मुख्यालय में अत्यधिक सुरक्षित सेल में रखा गया है। उसकी सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए गए हैं, और उसे 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी में रखा गया है। सुरक्षाकर्मी भी कड़ी चौकसी बनाए हुए हैं। एनआईए मुख्यालय, जो लोधी रोड पर स्थित है, को बहुस्तरीय सुरक्षा प्रदान की गई है।

सख्त सुरक्षा और निगरानी

राणा को ग्राउंड फ्लोर पर एक 14x14 सेल में रखा गया है, जहां उसे लिखने के लिए केवल सॉफ्ट-टिप पेन की अनुमति होगी, ताकि वह खुद को किसी प्रकार से नुकसान न पहुंचा सके। उसे विशेष रूप से "आत्महत्या की निगरानी" पर रखा गया है, ताकि उसकी मानसिक स्थिति पर भी नजर रखी जा सके।

एनआईए की पूछताछ का मुख्य फोकस

एनआईए ने शुक्रवार को तहव्वुर राणा से पूछताछ शुरू की। राणा से पूछताछ का मुख्य उद्देश्य 26/11 मुंबई हमले की साजिश से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं का खुलासा करना है। जानकारी के अनुसार, एनआईए की पूछताछ आईएसआई के साथ राणा के संबंधों पर केंद्रित होगी, और इसके अलावा राणा के सहयोगी डेविड कोलमेन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के बारे में भी जानकारी जुटाई जाएगी। विशेष रूप से, हेडली पर गोवा, दिल्ली, पुष्कर और अन्य स्थानों पर स्लीपर सेल की भर्ती करने का संदेह है।

कांग्रेस का बीजेपी पर हमला

इस मामले में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधा है। कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू नहीं की, बल्कि यह प्रक्रिया यूपीए सरकार के दौरान 2009 में शुरू हुई थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार इस घटनाक्रम का श्रेय लेने का प्रयास कर रही है, जबकि यह काम ईमानदारी से की गई कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का परिणाम है। चिदंबरम ने बताया कि यह प्रक्रिया 11 नवंबर, 2009 को शुरू हुई थी, जब एनआईए ने डेविड हेडली, तहव्वुर राणा और अन्य साजिशकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

निष्कर्ष

तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण और उसके बाद की पूछताछ 26/11 मुंबई हमले के जटिल साजिश को उजागर करने में अहम भूमिका निभा सकती है। एनआईए को राणा के साथ-साथ उसके सहयोगियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है, जिससे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और मजबूत करने में मदद मिल सकती है।


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