उत्तर प्रदेश में चुनावी साल 2027 के करीब आने के साथ ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। हर पार्टी अपने-अपने रणनीतियों और बयानबाज़ी के माध्यम से जनसाधारण का ध्यान आकर्षित करने में लगी है। इसी कड़ी में अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी अपने सुर बदले हैं। हाल ही में रामचरित मानस की प्रतियां जलने के विवाद में मौर्य ने स्पष्ट किया है कि वह ब्राह्मण विरोधी नहीं हैं और उन्होंने स्वयं न तो रामचरित मानस की प्रतियां जलाई हैं, न फाड़ी हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने बयान में कहा है कि रामचरित मानस की प्रतियां जलाने की घटना उनके कुछ समर्थकों द्वारा की गई थी, जिसका उन्होंने समर्थन नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में उनके ऊपर अनुचित आरोप लगाए जा रहे हैं। मौर्य ने स्पष्ट किया कि उन्होंने राम का विरोध नहीं किया, बल्कि तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरित मानस के कुछ चौपाइयों को लेकर असहमति जताई थी। उनका कहना है कि यह विरोध किसी धार्मिक भावना का अपमान नहीं, बल्कि साहित्यिक और सामाजिक दृष्टि से उस ग्रंथ के कुछ अंशों पर था, जिनमें सामाजिक भेदभाव झलकता है।
विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद साल 2023 में तब शुरू हुआ था जब स्वामी प्रसाद मौर्य सपा के राष्ट्रीय महासचिव और एमएलसी के पद पर थे। उन्होंने रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों पर सवाल उठाए थे और कहा था कि यह ग्रंथ कई लोगों के लिए स्वीकार्य नहीं है। मौर्य ने कहा था कि रामचरित मानस की कुछ पंक्तियां शूद्रों को अधम जाति का दर्जा देती हैं, जो सामाजिक न्याय के खिलाफ हैं। इस बयान के बाद सपा कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में रामचरित मानस की प्रतियां जलाकर विरोध जताया था। इस घटना के बाद मौर्य और ओबीसी महासभा के 10 अन्य लोगों के खिलाफ FIR भी दर्ज हुई थी।
राजनीतिक मायने और बदलाव
अब चुनावी साल 2027 नजदीक आने के कारण स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी बयानबाजी में नरमी लाई है। उन्होंने साफ किया कि उनका किसी धर्म या जाति के खिलाफ कोई द्वेष नहीं है और विवाद में उठे सवाल सिर्फ सामाजिक अन्याय को लेकर थे। यह बदलाव इस बात को दर्शाता है कि राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं और नेता अपनी छवि सुधारने की कोशिश में हैं। मौर्य की यह रणनीति उनके समर्थकों के बीच असमंजस को दूर करने और व्यापक वोट बैंक बनाने की दिशा में है।
जनता पार्टी की तैयारियां
इसी बीच, अपनी जनता पार्टी ने भी आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियां तेज कर दी हैं। पार्टी ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपना एप लॉन्च किया है, जिससे वे अपनी सदस्यता बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। पार्टी का लक्ष्य है कि इस एप के जरिए वे एक लाख से ज्यादा नए सदस्यों को जोड़ें और चुनावी मुहिम को मजबूत करें। इस डिजिटल पहल से पार्टी युवा और तकनीकी रूप से जागरूक मतदाताओं तक बेहतर पहुंच बनाने का प्रयास कर रही है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश का चुनावी माहौल तेजी से गरमाता जा रहा है, जहां नेता न केवल बयानबाजी में बदलाव कर रहे हैं बल्कि नई तकनीकों का भी सहारा ले रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादित बयान से दूरी बनाना और अपनी जनता पार्टी की डिजिटल पहल, दोनों ही संकेत हैं कि वे आगामी चुनाव में ज्यादा प्रभावी भूमिका निभाना चाहते हैं। 2027 का चुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण और परिवर्तन लेकर आ सकता है, जिसमें जनता पार्टी भी एक अहम खिलाड़ी बनने की कोशिश कर रही है।