लोकसभा के मानसून सत्र में गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तीखे हमले किए। उन्होंने न सिर्फ अखिलेश यादव को करारा जवाब दिया, बल्कि आतंकवाद, पाकिस्तान, और देश की सुरक्षा से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी सदन में साझा कीं। विशेष रूप से उन्होंने हाल ही में किए गए ऑपरेशन सिंदूर, उरी-पुलवामा हमले का बदला, और भारत की आंतरिक सुरक्षा पर गहरी बात की। उनके बयान विपक्ष पर हमले के साथ-साथ सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को भी दर्शाते हैं।
अखिलेश यादव से तीखा सवाल: “क्या आपकी पाकिस्तान से बात होती है?”
लोकसभा में जब अमित शाह पाकिस्तान और आतंकवाद के मुद्दे पर बोल रहे थे, तभी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोई सवाल उठाया। इस पर अमित शाह ने तंज भरे अंदाज़ में पूछा, "क्या आपकी पाकिस्तान से बात होती है?" उन्होंने अखिलेश से कहा कि “आपको भी बोलने का मौका मिलेगा, बैठ जाइये।” इसके बाद सदन में माहौल गरमा गया।
अखिलेश यादव ने बाद में जवाब देते हुए सरकार से कई सवाल किए, जिनमें उन्होंने देश की भौगोलिक स्थिति और कुल क्षेत्रफल जैसे मुद्दों को उठाया। लेकिन शाह के सवाल ने विपक्ष को रक्षात्मक मुद्रा में ला दिया।
हुर्रियत से नहीं करेंगे बात
अमित शाह ने साफ किया कि सरकार किसी भी हाल में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से बातचीत नहीं करेगी, क्योंकि वे आतंकी संगठनों के आउटफिट हैं। उन्होंने कहा, “ये लोग आतंकवाद को वैचारिक और सामाजिक समर्थन देने वाले हैं, इनसे कोई बातचीत नहीं होगी।”
ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान के चेहरे से नकाब हटा
गृह मंत्री ने हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी साझा करते हुए बताया कि 7 मई को 1:26 बजे इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इसमें भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तीन खूंखार आतंकियों — सुलेमान, अफगान और जिबरान — को मार गिराया। इनका संबंध पहलगाम हमले से था। शाह ने कहा कि “हमने पाकिस्तान के डीजीएमओ को सूचित कर दिया कि यह आत्मरक्षा में किया गया हमला था।”
आतंकियों के सबूत और पाकिस्तान की सच्चाई
शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम पूछते हैं कि "क्या सबूत है कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे?" उन्होंने कहा, “तीनों आतंकियों के पास पाकिस्तान के वोटर ID कार्ड, पाकिस्तानी चॉकलेट और हथियार मिले हैं।” उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान को क्लीनचिट देने की कोशिश कर रही है।
पुलवामा, उरी और पहलगाम: करारा जवाब
अमित शाह ने कहा कि उरी में हमला हुआ तो सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा के बाद एयर स्ट्राइक, और पहलगाम हमले के बाद 100 किमी अंदर जाकर 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया। उन्होंने कहा, "हमारे समय में आतंकियों को मार गिराया गया, जो पहले छिपते फिरते थे।"
1971 युद्ध और शिमला समझौता: कांग्रेस पर सीधा हमला
शाह ने 1971 युद्ध का हवाला देते हुए कहा, “तब पूरे देश ने इंदिरा गांधी का समर्थन किया, उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। हमें उस पर गर्व है। 93 हजार पाकिस्तानी सैनिक और 15,000 वर्ग किमी जमीन हमारे पास थी, लेकिन शिमला समझौते में कांग्रेस **PoK मांगना ही भूल गई।” उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “जीती हुई जमीन भी लौटा दी गई। अगर PoK की मांग कर ली होती, तो आज न रहता बांस, न बजती बांसुरी।”
"पाकिस्तान, कांग्रेस की ऐतिहासिक भूल का नतीजा"
गृह मंत्री ने कांग्रेस की ऐतिहासिक भूलों पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “अगर कांग्रेस ने विभाजन स्वीकार नहीं किया होता, तो पाकिस्तान जैसा देश ही नहीं बनता।” उन्होंने 1948 के युद्ध का जिक्र करते हुए बताया कि सरदार पटेल चाहते थे कि सेना आगे बढ़े, लेकिन नेहरू ने एकतरफा युद्धविराम कर दिया, जिसकी वजह से आज PoK एक समस्या बना हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि "नेहरू ने सिंधु जल संधि में भारत की 80% नदियों का पानी पाकिस्तान को दे दिया।"
निष्कर्ष: संसद में दिखी आक्रामक सरकार
इस पूरे भाषण से स्पष्ट हुआ कि मोदी सरकार आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक और स्पष्ट नीति पर काम कर रही है। अमित शाह का अखिलेश यादव से सवाल, पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन्स की जानकारी, और कांग्रेस की ऐतिहासिक नीतियों पर सवाल — ये सब दर्शाते हैं कि सरकार सिर्फ जवाब देने के बजाय अब विपक्ष से जवाब मांगने की रणनीति पर काम कर रही है।
शाह का भाषण न केवल राजनीतिक रूप से तीखा था, बल्कि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत की विदेश नीति पर एक सख्त रुख भी जाहिर किया। इससे संसद में सरकार की गंभीरता और विपक्ष पर बढ़ता दबाव दोनों साफ नजर आए।