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अखिलेश यादव का Facebook अकाउंट Suspend, सपा नेता ने कहा- सभी हदें पार

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Posted On:Saturday, October 11, 2025

समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आधिकारिक फेसबुक अकाउंट अचानक निलंबित कर दिया गया है। फेसबुक द्वारा बिना किसी पूर्व चेतावनी या नोटिस के सीधे अकाउंट को बंद करने के दावे के बाद, सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। अखिलेश यादव, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बेहद सक्रिय रहते थे और जिनके फेसबुक पर 8 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स थे, उनका अकाउंट सस्पेंड होने से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि फेसबुक ने किस कारण से देश की एक प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेता के अकाउंट पर यह कार्रवाई की है।

'लोकतंत्र की आवाज को दबाने का कुत्सित प्रयास'

समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस कार्रवाई को लोकतंत्र के लिए खतरा और 'आवाज दबाने' का प्रयास बताया है। सपा नेता पवन पांडेय ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा: "फेसबुक ने आज अपनी सभी हदें पार करने की हिम्मत की है, बिना किसी चेतावनी या नोटिस के अखिलेश यादव जी के ऑफिसियल पेज को निलंबित कर दिया है। यह कोई साधारण खाता नहीं है, यह भारतीय लोकतंत्र और करोड़ों लोगों की आवाज है। [फेसबुक ने] अखिलेश यादव जी की आवाज को दबाने का कुत्सित प्रयास किया है।"

उन्होंने आगे चेतावनी देते हुए कहा कि फेसबुक को अपनी सीमाओं को याद रखना चाहिए, क्योंकि वह लोकतंत्र को 'चुप' नहीं करा सकता। पवन पांडेय ने इस अहंकार को बर्दाश्त न करने की बात कहते हुए समाजवादियों से एकजुट होने का आह्वान किया।

सदन में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के नेता पर कार्रवाई

सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने इस निलंबन को लोकतंत्र के लिए 'घातक' बताया। उन्होंने कहा कि देश की तीसरी सबसे ज्यादा लोकसभा सीट जीतने वाली पार्टी के मुखिया का सोशल मीडिया अकाउंट सस्पेंड करना एक गंभीर चिंता का विषय है।

वहीं, सपा नेता राजीव राय ने फेसबुक के इस कदम को 'निंदनीय' बताते हुए इसे 'भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चोट' करार दिया। उन्होंने संदेह व्यक्त किया कि यदि यह कार्रवाई देश की सत्ता पक्ष के इशारे पर हुई है, तो यह 'कायरता की निशानी' है। उन्होंने जोर दिया कि समाजवादियों की आवाज को दबाने की कोशिश एक बड़ी भूल साबित होगी। सपा नेता इस कार्रवाई को सीधे तौर पर राजनीतिक प्रतिशोध और विपक्षी आवाजों को शांत करने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं। चूंकि यह कार्रवाई बिना किसी स्पष्टीकरण के हुई है, इसलिए पार्टी जल्द ही फेसबुक के खिलाफ कानूनी या संगठनात्मक कार्रवाई करने पर विचार कर सकती है। इस बीच, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सपा समर्थकों द्वारा 'लोकतंत्र बचाओ' जैसे हैशटैग ट्रेंड कराए जा रहे हैं।


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