ताजा खबर

‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वर्ण मंदिर में तैनात नहीं की गई थी एयर डिफेंस गन’, भारतीय सेना ने दिया जवाब

Photo Source :

Posted On:Wednesday, May 21, 2025

अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर में एयर डिफेंस गन तैनाती को लेकर हाल ही में कई मीडिया रिपोर्ट्स में काफी चर्चा हुई। कुछ खबरों में यह दावा किया गया था कि पाकिस्तान की ड्रोन और मिसाइल खतरों के मद्देनजर सेना ने स्वर्ण मंदिर के परिसर में एयर डिफेंस गन तैनात की है। लेकिन भारतीय सेना ने इस खबर को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और कहा है कि स्वर्ण मंदिर के अंदर या उसके परिसर में कोई एयर डिफेंस गन या कोई अन्य एयर डिफेंस सिस्टम तैनात नहीं किया गया है। इस पूरे मामले में भ्रम की स्थिति तब बनी जब भारतीय सेना के वायु रक्षा प्रभारी लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने एक पॉडकास्ट के दौरान इस विषय पर टिप्पणी की थी।

सेना के दावे और फिर खंडन

लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने हाल ही में एक न्यूज़ एजेंसी एएनआई के पॉडकास्ट में बताया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा को लेकर यह कदम उठाया गया था। उन्होंने दावा किया था कि भारत-पाकिस्तान सीमा तनाव के चलते पाकिस्तान ने स्वर्ण मंदिर पर ड्रोन हमला करने की कोशिश की, जिसे रोकने के लिए एयर डिफेंस गन तैनात की गई। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास में पहली बार स्वर्ण मंदिर की लाइटें बंद की गईं ताकि दुश्मन के ड्रोन को बेहतर तरीके से ट्रैक किया जा सके और उन्हें नष्ट किया जा सके। इस तरह की रणनीति से सेना को ड्रोन की पहचान और उन्हें निशाना बनाने में मदद मिली।

हालांकि, सेना ने तुरंत ही स्पष्ट किया कि स्वर्ण मंदिर के परिसर में एयर डिफेंस गन तैनात करने का कोई तथ्य मौजूद नहीं है और इस प्रकार की कोई तैनाती नहीं हुई है। भारतीय सेना ने इस तरह की अफवाहों को गलत बताया और कहा कि स्वर्ण मंदिर परिसर को लेकर इस तरह के संसाधन तैनात नहीं किए गए हैं।

एसजीपीसी और मुख्य ग्रंथी का इनकार

मीडिया रिपोर्ट्स के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) और स्वर्ण मंदिर के अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी ज्ञानी अमरजीत सिंह ने भी इस खबर को खारिज किया। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि किसी भी तरह की एयर डिफेंस गन तैनाती के लिए सेना को कोई अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान अमृतसर प्रशासन ने केवल ब्लैकआउट के लिए लाइट बंद करने की बात कही थी, जिस पर मंदिर प्रबंधन ने पूरी सहयोग दिया।

मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी साफ किया कि वे उस समय विदेश यात्रा पर थे और एयर डिफेंस गन तैनाती को लेकर उनके साथ कोई बातचीत या अनुमति नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि स्वर्ण मंदिर में ऐसी कोई तैनाती नहीं हुई है।

ब्लैकआउट के दौरान लाइट बंद

स्वर्ण मंदिर परिसर में हाल ही में अमृतसर प्रशासन के आदेश पर ब्लैकआउट का आयोजन किया गया था। इसके तहत मंदिर के बाहर और ऊपरी हिस्सों की लाइटें निर्धारित समय के अनुसार बंद कर दी गईं, ताकि सुरक्षा कारणों से किसी भी तरह के ड्रोन या अन्य उड़ने वाले उपकरणों को ट्रैक किया जा सके। लेकिन मंदिर के अंदर और जहां भी धार्मिक रस्में होती हैं, वहां लाइटें जलती रहीं ताकि धार्मिक पवित्रता बनी रहे।

एसजीपीसी ने इस प्रक्रिया को प्रशासनिक सहयोग के रूप में बताया और यह भी सुनिश्चित किया कि धार्मिक गतिविधियों में कोई बाधा न आए।

ऑपरेशन सिंदूर और सुरक्षा रणनीति

ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भारतीय सेना ने यह स्पष्ट किया कि इस ऑपरेशन का मकसद सीमा पर ड्रोन और मिसाइल हमलों से देश की सुरक्षा करना है। हाल ही में पाकिस्तान की ओर से सीमा पर ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिशों के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं। इसके तहत कई सुरक्षा उपाय किए गए हैं, जिनमें सीमावर्ती इलाकों में तैनाती और ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम की मदद शामिल है।

हालांकि, स्वर्ण मंदिर जैसे धार्मिक स्थल के भीतर एयर डिफेंस गन जैसी भारी सैन्य उपकरण की तैनाती संवेदनशील और विवादास्पद हो सकती है, इसलिए सेना और प्रशासन दोनों ने इस बात से इनकार किया है।

मीडिया में भ्रम और इसकी वजह

मीडिया रिपोर्ट्स में यह खबर तब तेजी से फैल गई जब लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने पॉडकास्ट में बात करते हुए कुछ विवरण साझा किए। हालांकि, उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया और इस बात को लेकर भ्रम फैल गया कि एयर डिफेंस गन स्वर्ण मंदिर में तैनात की गई है। बाद में सेना ने स्पष्टीकरण जारी कर इसे अफवाह बताया।

निष्कर्ष

स्वर्ण मंदिर, जो सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थल है, वहां किसी भी सैन्य हथियार की तैनाती को लेकर अब तक कोई आधिकारिक मंजूरी नहीं दी गई है। मंदिर परिसर में सुरक्षा के लिए प्रशासन और सेना विभिन्न सुरक्षा उपाय जरूर करती है, लेकिन वह धार्मिक गतिविधियों और पवित्रता को बनाए रखते हुए की जाती हैं।

स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है, लेकिन इसके लिए सेना और प्रशासन सावधानीपूर्वक रणनीति अपनाते हैं ताकि धार्मिक आस्थाओं को ठेस न पहुंचे। इस घटना ने मीडिया रिपोर्टिंग में जिम्मेदारी और सटीकता के महत्व को फिर एक बार उजागर किया है।

इस पूरे विवाद से यह सीख मिलती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में जानकारी को सही संदर्भ में समझना और प्रसारित करना आवश्यक है, जिससे जनता में अनावश्यक भ्रम और भय की स्थिति न बने।

स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा के प्रति सभी का सम्मान और सहयोग जारी रहेगा, साथ ही देश की सीमाओं पर सुरक्षा बल अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाते रहेंगे।


लखनऊ और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. Lucknowvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.