मुंबई, 01 दिसम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सरकार ने मोबाइल कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे हर नए स्मार्टफोन में साइबर सुरक्षा से जुड़ा ‘संचार साथी’ ऐप प्री-इंस्टॉल करके बेचें। यह ऐप हटाया या डिसेबल नहीं किया जा सकेगा। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार यह आदेश चुनिंदा कंपनियों को निजी रूप से भेजा गया है और इसके लागू करने के लिए 90 दिन की डेडलाइन दी गई है। पुराने फोन में भी जल्द ही यह ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए जोड़ा जाएगा।
संचार साथी ऐप क्या है और कैसे करेगा मदद
- यह ऐप सरकार द्वारा विकसित साइबर सिक्योरिटी टूल है, जिसे 17 जनवरी 2025 को लॉन्च किया गया था।
- अभी यह ऐपल और गूगल प्ले स्टोर पर वॉलंटरी डाउनलोड के लिए उपलब्ध है, लेकिन अब इसे सभी नए डिवाइस में अनिवार्य किया जाएगा।
- ऐप के जरिए यूजर्स संदिग्ध कॉल, मैसेज या चैट की शिकायत दर्ज कर सकेंगे।
- IMEI नंबर की मदद से चोरी, गुम या फर्जी IMEI वाले फोन की पहचान और ब्लॉकिंग आसान होगी।
डुप्लिकेट IMEI से बढ़ती चुनौतियाँ
भारत में मोबाइल यूजर्स की संख्या 1.2 अरब से अधिक है। इतने बड़े बाज़ार में फर्जी या क्लोन किए गए IMEI नंबर तेजी से साइबर अपराध बढ़ा रहे हैं। अपराधी चोरी के फोन में IMEI क्लोन करके उसे ट्रैकिंग से बचाते हैं और स्कैम या बिक्री जैसी अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल करते हैं। सरकार के अनुसार यह ऐप पुलिस और एजेंसियों को ऐसे डिवाइस को ट्रेस करने में बड़ी मदद देगा। सितंबर में DoT ने बताया था कि अब तक 22.76 लाख डिवाइस ट्रेस किए जा चुके हैं।
मोबाइल कंपनियों पर प्रभाव
इस आदेश से स्मार्टफोन कंपनियां असमंजस में हैं, क्योंकि उन्हें बिना पूर्व सलाह के यह निर्देश प्राप्त हुआ है। खासकर Apple के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि उसकी नीति बाहरी या सरकारी ऐप को प्री-इंस्टॉल करने की अनुमति नहीं देती। पहले भी एंटी-स्पैम ऐप को लेकर Apple और नियामकों के बीच विवाद हुआ था। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि Apple सरकार के साथ बातचीत करके कोई वैकल्पिक तरीका सुझा सकता है, जैसे—यूजर को वॉलंटरी इंस्टॉलेशन प्रॉम्प्ट देना। फिलहाल कंपनियों ने इस आदेश पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
उपयोगकर्ताओं को क्या फायदा और क्या चिंता
यूजर्स को सीधे तौर पर सुरक्षा का लाभ मिलेगा—चोरी या गुम हुए फोन को तुरंत IMEI चेक कर ब्लॉक कराया जा सकेगा और फर्जी कॉल रिपोर्ट करने से फ्रॉड की घटनाएँ कम होंगी। हालांकि ऐप को डिलीट न कर पाने को लेकर प्राइवेसी समूह सवाल उठा सकते हैं, क्योंकि इससे यूजर कंट्रोल कम हो जाएगा। भविष्य में ऐप में नए फीचर्स और भी गहराई से ट्रैकिंग या AI आधारित फ्रॉड पहचान जैसी क्षमताएँ शामिल की जा सकती हैं। सरकार का कहना है कि इससे देश में टेलीकॉम सुरक्षा अगले स्तर पर पहुंच पाएगी।
खोए या चोरी हुए मोबाइल को ब्लॉक/ट्रैक करने की प्रक्रिया:
1. सबसे पहले संचार साथी की आधिकारिक वेबसाइट https://sancharsaathi.gov.in/ पर जाएं।
2. वेबसाइट पर "Block Stolen/Lost Mobile" ऑप्शन पर क्लिक करें।
3. दिए गए फॉर्म में मांगी गई पूरी जानकारी भरें:
- डिवाइस इंफॉर्मेशन: मोबाइल नंबर, IMEI नंबर, ब्रांड, मॉडल, खरीद के बिल का इनवॉइस।
- लॉस्ट/चोरी की जानकारी: जगह का नाम, स्टेट/डिस्ट्रिक्ट/पुलिस स्टेशन, पुलिस कंप्लेंट नंबर, कंप्लेंट की कॉपी।
- मालिक की जानकारी: नाम, पता, ID प्रूफ की कॉपी, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर।
4. सभी जानकारी भरने के बाद टर्म्स एंड कंडीशन चेकबॉक्स में टिक करें और सबमिट कर दें।
5. सबमिट करने के बाद आपको एक रिक्वेस्ट/रिकॉग्निशन आईडी मिलेगी, जिसे आगे के ट्रैक/रिवर्स प्रोसेस में इस्तेमाल किया जाएगा।
संचार साथी’ ऐप के फायदे और महत्वपूर्ण आँकड़े -
- 5 करोड़ से ज्यादा बार ऐप डाउनलोड किया गया है।
- 7 लाख से अधिक फोन ऐप द्वारा अब तक वापस मिल चुके हैं।
- 3 करोड़ से ज्यादा फर्जी कनेक्शन ऐप की मदद से रद्द किए गए।
- 50,000 चोरी किए गए फोन ऐप की मदद से सफलतापूर्वक रिकवर हुए।
- 37 लाख से अधिक चोरी/गुम हुए डिवाइस ब्लॉक किए गए हैं।