ताजा खबर

Quit India Movement: आज ही के दिन शुरू हुआ था 'भारत छोड़ो आंदोलन', जिसने हिला दी थी ब्रिटिश राज की नींव

Photo Source :

Posted On:Thursday, August 8, 2024

इतिहास न्यूज डेस्क !!! भारत की आजादी से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं, जो एक अविस्मरणीय इतिहास बन गई हैं। उनमें से एक है भारत छोड़ो आंदोलन. आपने भी इसके बारे में पढ़ा होगा या अपने बड़ों से सुना होगा। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत आज ही के दिन यानी 8 अगस्त 1942 को हुई थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। उस समय इंग्लैंड, जो द्वितीय विश्व युद्ध में उलझा हुआ था, को भारत में इस तरह के आंदोलन की उम्मीद नहीं थी। इससे पूरी ब्रिटिश सरकार हिल गयी। 1942 का यह आंदोलन 1857 के बाद देश की आजादी के लिए हुए सभी आंदोलनों में सबसे बड़ा और उग्र साबित हुआ। आइए आपको बताते हैं इससे जुड़ी खास बातें.

भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ी खास बातें

1. भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत बापू ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुंबई अधिवेशन से की थी। उस समय बापू ने अपना ऐतिहासिक भाषण मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान या अगस्त क्रांति मैदान में दिया था और इस भाषण में उन्होंने 'करो या मरो' का नारा दिया था। उस वक्त उनके साथ कांग्रेस के कई बड़े नेता मौजूद थे.

2. भाषण के दौरान उन्होंने सभी कांग्रेसियों और भारतीयों से अहिंसा के साथ करो या मरो के माध्यम से परम स्वतंत्रता के लिए अनुशासन बनाए रखने को कहा। आंदोलन शुरू करने के बाद ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस पर कहर बरपाना शुरू कर दिया। नेताओं की गिरफ्तारियां होने लगीं. देश भर में कांग्रेस कार्यालयों पर छापे मारे गए। उनके धन जब्त कर लिये गये।

3. शुरुआत में आंदोलन शांतिपूर्ण था, लेकिन ब्रिटिश सरकार की छापेमारी के कारण प्रदर्शनकारी अचानक हिंसक हो गए और डाकघरों, सरकारी इमारतों और रेलवे स्टेशनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। बर्बरता की कई घटनाएँ हुईं और सरकार ने हिंसा के इन कृत्यों के लिए गांधीजी को जिम्मेदार ठहराया।

4. इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने गांधीजी और आंदोलन के सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। सभी प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद अरुणा आसफ अली ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक बुलाई।

5. पुलिस और सरकार की तमाम चेतावनियों के बावजूद मुंबई के गोवालिया टैंक ग्राउंड में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए. तब अरुणा आसफ अली ने इस भीड़ के सामने पहली बार भारतीय झंडा फहराया। जो आंदोलन के लिए एक प्रतीक साबित हुआ.

6. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस आंदोलन में 900 से ज्यादा लोग मारे गए, 60,000 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए. अंग्रेजों की दमनकारी नीति के बावजूद यह आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा था। अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आये। सरकारी इमारतों पर कांग्रेस के झंडे लहराने लगे। किसानों और छात्रों ने भी संघर्ष शुरू कर दिया. कर्मचारी हड़ताल पर चले गये और सरकारी कर्मचारियों ने काम बंद कर गिरफ़्तारियाँ देना शुरू कर दिया।

7. इस आंदोलन ने देश की आजादी में बड़ी भूमिका निभाई. इस आंदोलन ने 1943 के अंत तक भारत को एकजुट कर दिया और ब्रिटिश राज की नींव पूरी तरह से हिला दी। अंततः आंदोलन के अंत तक ब्रिटिश सरकार को यह संकेत देना पड़ा कि देश की सत्ता शीघ्र ही भारतीयों को सौंप दी जायेगी। इसके बाद गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया और कांग्रेस नेताओं सहित लगभग 100,000 राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया गया।


लखनऊ और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. Lucknowvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.