आज 22 फरवरी को महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी की पुण्यतिथि है. जब हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में कई महिलाओं के नाम आते हैं, लेकिन जिस महिला का नाम आजादी का पर्याय बन गया है, वह है 'कस्तूरबा गांधी'। कस्तूरबा गांधी, जिन्हें 'बा' के नाम से जाना जाता है, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पत्नी थीं और उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कस्तूरबा अनपढ़ होते हुए भी भले-बुरे में भेद करने की बुद्धि रखती थीं। उन्होंने जीवन भर बुराई का डटकर सामना किया और कई मौकों पर गांधीजी को चेतावनी देने से भी नहीं चूकीं। महात्मा गांधी के अनुसार, ''जो लोग मेरे और बा के निकट संपर्क में आए हैं, उनमें बहुसंख्यक वे हैं, जिनका मुझ से कई गुना अधिक विश्वास बा में है।'' उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने पति और देश के लिए खपा दिया।
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल, 1869 को काठियावाड़ के पोरबंदर शहर में हुआ था। कस्तूरबा के पिता 'गोकुलदास माकनजी' एक साधारण व्यापारी थे और कस्तूरबा उनकी तीसरी संतान थीं। उस जमाने में ज्यादातर लोग अपनी बेटियों को शिक्षित नहीं करते थे और उनकी कम उम्र में शादी भी कर देते थे। कस्तूरबा के पिता महात्मा गांधी के पिता के करीबी दोस्त थे और दोनों दोस्तों ने अपनी दोस्ती को रिश्ते में बदलने का फैसला किया। कस्तूरबा बचपन में अनपढ़ थीं और महज सात साल की उम्र में उनकी सगाई 6 साल के मोहनदास से कर दी गई और तेरह साल की छोटी उम्र में दोनों का विवाह हो गया।
अगर आप नहीं जानते हैं तो हम आपको बता दें कि कस्तूरबा का शुरुआती गृहस्थ जीवन काफी कठिन था। उनके पति मोहनदास करमचंद गांधी उनकी अशिक्षा से नाखुश थे और उन्हें ताने मारते थे। मोहनदास को कस्तूरबा का तैयार होना, सजना संवरना और घर से बाहर जाना बिल्कुल पसंद नहीं था। उन्होंने 'बा' को शुरू में काबू करने की कोशिश की लेकिन ज्यादा कामयाब नहीं हो सके।